नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार और ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) से पूर्व प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई पर अदालत कक्ष में जूता फेंकने के प्रयास जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उपाय सुझाने को कहा।
शीर्ष अदालत ने मीडिया द्वारा ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के सुझाव भी मांगे।
भारत के प्रधान न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह से इस संबंध में दिशा-निर्देश तय करने के लिए सुझाव देने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं एससीबीए अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से कहा है कि वे भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों तथा ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग एवं प्रसारण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर संयुक्त सुझाव पेश करेंगे।’’
अदालत ने केंद्र को औपचारिक नोटिस जारी करने की प्रक्रिया से छूट देते हुए कहा कि यह मामला प्रतिद्वंद्वी प्रकृति का नहीं है, इसलिए संयुक्त सुझाव दाखिल किए जा सकते हैं।
इससे पहले पीठ ने 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनिच्छा जताई थी। किशोर ने छह अक्टूबर को न्यायालय की कार्यवाही के दौरान तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया था। अदालत ने कहा था कि जो भी आवश्यक होगा, उस पर विचार किया जाएगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 12 नवंबर को एससीबीए की ओर से उपस्थित वकीलों से कहा था कि वे अपने सुझाव दें, क्योंकि न्यायालय इस संबंध में अखिल भारतीय दिशानिर्देश तैयार करने पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा था, ‘‘अदालत परिसर और बार कक्ष जैसे स्थानों पर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तीन-चार सुझाव देने के बारे में सोचिए। आप सभी कृपया सुझाव दीजिए।’’
पीठ एससीबीए की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें वकील किशोर के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया है। वकील ने छह अक्टूबर को अदालती कार्यवाही के दौरान प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता उछालने का प्रयास किया था।
वकील किशोर के इस कृत्य के कारण ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ (बीसीआई) ने उसका लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी घटना की निंदा करते हुए प्रधान न्यायाधीश से बात की थी।