जनगणना के नतीजे विकास के लिए दिशा-निर्देशक साबित होंगे : अमित शाह

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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि जनगणना 2027 के नतीजे देश के विकास के लिए नए दिशा-निर्देशक की तरह काम करेंगे, क्योंकि ये भारत की नवीनतम जनसंख्या से जुड़े आंकड़ों को अधिक सटीकता के साथ प्रतिबिंबित करेंगे।

शाह ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विश्व की सबसे बड़ी प्रशासनिक और सांख्यिकीय कवायद के लिए 11,718.24 करोड़ रुपये आवंटित करते हुए जनगणना 2027 के बजट को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर कहा, ‘‘आंकड़ों में सटीकता मोदी जी के सुशासन और विकास के लाभों को हर वर्ग के नागरिकों तक पहुंचाने के दृष्टिकोण को गति देगी, जिससे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा अमृत काल में नए भारत की एक भव्य वास्तविकता बन जाएगा।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है, जो अपनी तरह की पहली डिजिटल जनगणना होगी।

स्वतंत्रता के बाद से जनगणना का 16वां संस्करण पहली बार जाति आधारित गणना भी करेगा और नागरिकों को स्वयं गणना करने का विकल्प भी प्रदान करेगा।

देश भर में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण 2021 में होने वाली यह दशकीय कवायद स्थगित कर दी गई थी।

जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी। इसके तहत अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकानों की सूची बनाने और आवास जनगणना का काम होगा; और फरवरी 2027 में जनसंख्या गणना की जाएगी।

लगभग 30 लाख जनगणनाकर्मी प्रत्येक घर का दौरा करेंगे और घर-परिवार सूचीकरण, आवास गणना और जनसंख्या गणना के लिए अलग-अलग प्रश्नावली के माध्यम से सर्वेक्षण करेंगे।

गृह मंत्री ने बताया कि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से ढके क्षेत्रों में जनसंख्या गणना सितंबर 2026 में की जाएगी।

अमित शाह ने मिलिंग कोपरा और बॉल कोपरा के एमएसपी में पर्याप्त वृद्धि के फैसले का भी स्वागत किया। शाह ने कहा कि मंत्रिमंडल ने मिलिंग कोपरा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 129 प्रतिशत और बॉल कोपरा के लिए 127 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी है (2014 की तुलना में)।

उन्होंने कहा कि यह फैसला नारियल उत्पादक किसानों के लिए समृद्धि का नया युग लाएगा।

गृह मंत्री ने कैबिनेट द्वारा ‘कोल सेतु’ नामक कोयला लिंकेज नीति सुधारों को मंजूरी दिए जाने का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि इस निर्णय से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा परिकल्पित बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को नई गति मिलेगी।

इस कदम से घरेलू उद्योगों के लिए कोयला आसानी से उपलब्ध होगा, आयात बिल में कमी आएगी और धुले हुए कोयले का निर्यात संभव हो पाएगा।

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