बिहार सरकार आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए 100 फास्ट-ट्रैक अदालतें गठित करेगी: गृह मंत्री

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पटना, सात दिसंबर (भाषा) बिहार सरकार के गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने रविवार को राज्य में लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए 100 फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने की घोषणा की।

चौधरी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य नियमित अदालतों पर बोझ कम करना है ताकि वे संवेदनशील मामलों पर उचित ध्यान दे सकें।

मंत्री ने कहा कि यह निर्णय इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया गया कि राज्य की विभिन्न अदालतों में 18 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं।

उन्होंने कहा कि फास्ट-ट्रैक अदालतों के गठन से न्यायिक व्यवस्था और वादियों को ‘बड़ी राहत’ मिलेगी।

गृह मंत्री ने एक बयान में कहा, “38 जिलों और उप-मंडलों में 100 फास्ट ट्रैक अदालतों को शुरू करने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर भर्तियां करेगी।”

उन्होंने कहा कि बेंच क्लर्क, ऑफिस क्लर्क, स्टेनोग्राफर, डिपोजिशन राइटर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चालक, प्रोसेस सर्वर और चपरासी सहित कुल 900 पद भरे जाएंगे। चौधरी ने शस्त्र अधिनियम से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए 79 अदालतों को ‘अधिनियम अदालत’ के रूप में नामित किये जाने की भी घोषणा की।

उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर मामलों के शीघ्र समाधान से राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत होगी।

मंत्री ने कहा कि अकेले पटना में आठ जबकि गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा व भागलपुर में चार-चार, नालंदा (बिहारशरीफ), रोहतास (सासाराम), सारण (छपरा), बेगुसराय, वैशाली (हाजीपुर), पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), समस्तीपुर और मधुबनी में तीन-तीन फास्ट-ट्रैक अदालतों की योजना बनाई गई है।

इसी तरह पश्चिम चंपारण (बेतिया), सहरसा, पूर्णिया, मुंगेर, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर (भभुआ), बक्सर, भोजपुर (आरा), सीतामढी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय और खगड़िया में दो-दो अदालतें स्थापित की जाएंगी।

वहीं नौगछिया और बगहा के उप-विभागीय न्यायालयों के लिए एक-एक फास्ट ट्रैक अदालत का भी प्रस्ताव है।

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