छोटे आंवले के बड़े-बड़े गुण

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 रात भर पानी में सूखे आंवलों को भिगोकर सुबह उसके पानी से आंखें एवं सिर धोने से आंखों की ज्योति बढ़ेगी व बाल काले, मजबूत, चमकदार बनेंगे एवं झड़ने बंद होंगे।
 त्रिफला (जो आंवला, हर्र व बहेरा के मिश्रण से बनता है, को रात में गुनगुने पानी के साथ सेवन करने पर कब्ज दूर होता है, पेट साफ होता है एवं नेत्र ज्योति व खून व ताकत बढ़ती है।
 आंवले  के मुरब्बे का सेवन करने से हृदय मजबूत होता है एवं उदर रोगों से बचाव होता है। दूध के साथ आंवले का सेवन हृदय रोग में बहुत लाभकारी है।
 आंवले  के रस में दूध, शुद्ध घी एवं मिश्री की समान मात्रा पिलाकर सेवन करने से बुढ़ापा दूर होता है।
 बच्चों के लिए आंवले का रस का चूर्ण और शहद बहुत लाभकारी है।
 रोज ताजा आंवला चबाकर खाने से दांत संबंधी रोग दूर होेते हैं।
 आंवले के रस को पिलाने से विष का असर कम होता है।
 ताजे आंवले के रस को चूसने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।
 ताजे भुट्टे के साथ आंवले का चूर्ण कुछ दिनों तक सेवन करने पर बवासीर में लाभ होता है।
 नियमित रूप से आंवला सेवन करने वाले व्यक्ति का गला सुरीला बना रहता है।
 आंवले के चूर्ण का नियमित सेवन करने से स्त्रिायों  को श्वेतप्रदर और रक्तप्रदर में काफी लाभ होता है।
 आंवले से बने च्यवनप्राश का प्रतिदिन सेवन करने से शरीर स्वस्थ बना रहता है।
 सर्दी जुकाम व दमे के रोगियों के लिए आंवला काफी लाभदायक होता है।
 क्षयप्रवृत्ति वालों को आंवले का मुरब्बा प्रतिदिन एक औंस देने से विटामिन सी की प्राप्ति के साथ-साथ पेट भी साफ रहता है।
 स्कर्वी नामक रोग में आंवले का सेवन बेहद लाभकारी होता है।
 आंवले का चूर्ण पांडु रोग, कामला और अजीर्ण के लिए बेहद उपयोगी है।
 आंवला श्वास संस्थान के लिए भी अति उपयोगी है।
 आंवले को आम की ‘गुठली के साथ पीसकर सिर पर लेप करने से बाल लंबे घने व मजबूत होते हैं।
 आंवले का बीज दमा और प्रदर रोग को समाप्त करता है।
 आंवले की छाल को पीसकर शहद के साथ लेप करने पर मुख पर पड़े छाले खत्म होते हैं।
 प्रतिदिन शहद के साथ ताजे आंवले का रसपान करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और मोतियाबिन्द और आंखों से संबंधित अन्य रोगों में भी इससे लाभ पहुंचता है।