नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) अरावली पहाड़ियों की परिभाषा को लेकर उठे विवाद के बीच उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया है और वह सोमवार को मामले की सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी जिसमें न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायामूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 20 नवंबर को अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार करते हुए, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्रों में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नए खनन पट्टों के आवंटन पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था। समिति के अनुसार, ‘‘अरावली पहाड़ी’’ को उन चिह्नित अरावली जिलों में मौजूद किसी भी भू-आकृति के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जिसकी ऊंचाई स्थानीय निचले बिंदु से 100 मीटर या उससे अधिक हो। वहीं, ‘‘अरावली पर्वतमाला’’ एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर दो या अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह होगा।