आदित्य ठाकरे ने अरावली पर शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया, कहा: राहत स्थायी हो

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मुंबई, 29 दिसंबर (भाषा) शिवसेना (उबाठा) के नेता आदित्य ठाकरे ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अरावली पर्वतमाला की नयी परिभाषा पर 20 नवंबर के अपने आदेश पर स्थगन लगाने के फैसले का सोमवार को स्वागत करते हुए कहा कि यह राहत बहुत बड़ी है, लेकिन इसे स्थायी बनाया जाना चाहिए।

ठाकरे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह भी जरूरी है कि लोग अरावली पहाड़ी के सुरक्षित होने के बारे में फैलाई जा रही गलत सूचना के झांसे में न आयें।

उन्होंने लिखा,‘‘अरावली पर्वतमाला के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का स्थगन आदेश एक बड़ी लेकिन अस्थायी राहत है। इस पर स्थायी मुहर लगना चाहिए।’’

उच्चतम न्यायालय ने अपने 20 नवंबर के फैसले में दिए गए उन निर्देशों को सोमवार को स्थगित रखने का आदेश दिया, जिसमें उसने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति द्वारा संस्तुत अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया था।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने इस मुद्दे की व्यापक और समग्र समीक्षा के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव भी रखा है।

आदित्य ने कहा कि राजस्थान के जनांदोलन के बिना यह परिणाम संभव नहीं होता, जिन्होंने यह दिखाया कि ग्रह ही मायने रखता है, न कि ‘ग्रह का शोषण करने की चाह रखने वालों के गंदे इरादे।’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हम अरावली पर्वतमाला और पूरे देश में प्रकृति को सबसे मजबूत सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे।’’

मंत्रालय की समिति ने पहले अनुशंसा की थी कि ‘‘अरावली पहाड़ी’’ की परिभाषा अरावली जिलों में स्थित ऐसी किसी भी भू-आकृति के रूप में की जाए, जिसकी ऊंचाई स्थानीय भू-स्तर से 100 मीटर या उससे अधिक हो; और और ‘‘अरावली पर्वतमाला’’ एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर दो या अधिक ऐसी पहाड़ियों का समुच्य होगा।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों और विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस पुनर्परिभाषा से अरावली के नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के विशाल क्षेत्रों में खनन की अनुमति मिल सकती है।

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