‘वंदे मातरम्’ धार्मिक गीत नहीं है, यह मातृभूमि के प्रति एकता और शक्ति की प्रेरणा देता है : फडणवीस

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मुंबई, सात नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि ‘वंदे मातरम्’ शक्ति और एकता की प्रेरणा देता है और उन्होंने देश के 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने के लक्ष्य को देखते हुए नागरिकों से इस गीत से फिर से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

वह बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित भारत के राष्ट्रीय गीत की रचना की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्य सचिवालय में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।

फडणवीस ने कहा, ‘‘कुछ लोगों को लगता है कि ‘वंदे मातरम्’ एक धार्मिक गीत है और वे इसे गाने से इनकार करते हैं। यहां तक कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भी कहा था कि वंदे मातरम को धार्मिक गीत कहना गलत है। यह गीत मातृभूमि के लिए बलिदान देने, उसकी एकता और शक्ति के प्रति समर्पण की प्रेरणा है।’’

फडणवीस ने लोगों से आग्रह किया कि वे 2047 में देश की स्वतंत्रता की शताब्दी के अवसर पर ‘‘विकास’’ और ‘‘विरासत’’ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने का संकल्प लें और ‘‘विकसित भारत’’ के रूप में उभरें।

‘वंदे मातरम्’ की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी और इसे पहली बार सात नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित किया गया था।

एक सरकारी बयान के अनुसार, ‘‘बाद में बंकिम चंद्र चटर्जी ने इस स्तुति को अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया जो 1882 में प्रकाशित हुआ। इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया था। यह गीत राष्ट्र की सांस्कृतिक, राजनीतिक और सभ्यतागत चेतना का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।’’

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