हरिद्वार, दो नवंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनाने का सपना पूरा करने के लिए महिलाओं समेत सभी का सहयोग चाहिए।
राष्ट्रपति ने यहां पतंजलि विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कहा कि उन्हें यह जानकार बहुत प्रसन्नता हुई है कि यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे कुल छात्रों में 62 प्रतिशत और आज उपाधि ग्रहण करने वाले छात्रों में 64 प्रतिशत छात्राएं हैं जबकि पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों की तुलना में चौगुनी है।
उन्होंने कहा, “यह केवल संख्या नहीं है, यह महिलाओं के नेतृत्व में आगे बढ़ने वाले विकसित भारत का अग्रिम स्वरूप है। साथ ही, यह भारतीय संस्कृति की उस महान परंपरा का विस्तार है जिसमें गार्गी, मैत्रेयी, अपाला और लोपामुद्रा जैसी विदुषी महिलाएं समाज को बौद्धिक व आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान करती थीं।”
उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि हमारी शिक्षित बेटियां अपनी आंतरिक शक्ति व प्रतिभा से भारत माता का गौरव बढ़ाएंगी।’
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की 140 करोड़ की आबादी में से 50 फीसदी महिलाएं हैं तो 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए महिलाओं समेत सभी का सहयोग चाहिए।
उन्होंने कहा, “अगर केवल बेटे प्रयास करेंगे और बेटियां पीछे रह जाएंगी तो विकसित भारत का सपना अधूरा रह जाएगा।”
राष्ट्रपति ने योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार प्रसार में पतंजलि विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि हिमालय के इस आंचल से अनेक पवित्र नदियों के साथ ही ज्ञान-गंगा की अनेक धाराएं भी प्रवाहित होती हैं और उनमें इस विश्वविद्यालय की एक अविरल धारा भी जुड़ गई है।
उन्होंने छात्रों से कहा, “भारतीय संस्कृति के अनुसार आधुनिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले इस विश्वविद्यालय में पढ़ने का निर्णय लेकर आप सब एक महान सांस्कृतिक परंपरा के संवाहक बने हैं और इसके आपके अभिभावकों की भी सराहना की जानी चाहिए।”
मुर्मू ने पर्यावरण संरक्षण और जीवनशैली को प्रकृति के अनुरूप ढालने को मानव समुदाय के भविष्य के लिए जरूरी बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि यहां के मनोरम स्थान पर शिक्षा प्राप्त करने के कारण छात्र जलवायु-परिवर्तन समेत अन्य वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सदैव तत्पर रहेंगे।