इस जीत में 1983 विश्व कप जैसा बदलाव लाने की क्षमता: महिला टीम के कोच मजूमदार

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नवी मुंबई, तीन नवंबर (भाषा) भारतीय महिला टीम के कोच अमोल मजूमदार ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विश्व कप के फाइनल में रविवार को मिली जीत की तुलना 1983 के पुरुष विश्व कप से करते हुए कहा कि इसमें भारतीय क्रिकेट में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता है।

भारत ने महिला विश्व कप के फाइनल दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर वैश्विक खिताबी सूखे को खत्म किया। टीम इससे पहले 2005 और 2017 में उपविजेता रही थी।

कपिल देव की अगुवाई में भारतीय पुरुष टीम के 1983 में विश्व चैंपियन बनने के बाद देश में क्रिकेट की लोकप्रियता काफी बढ़ गयी थी और इसने कई पीढ़ियों को इस खेल से जुड़ने के लिए प्रेरित किया था।

मजूमदार ने मैच के बाद कहा, ‘‘ यह भारतीय क्रिकेट में ‘वाटरशेड मूवमेंट (बड़ी प्रगति और बड़े सकारात्मक बदलाव का प्रतिक)’ है। पिछले तीनों मैचों में यह स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। करोड़ों की संख्या में दर्शक टेलीविजन पर देख रहे थे। इससे कुछ दर्शक जरूर प्रेरित हुए होंगे। 1983 की विश्व कप जीत ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया था और इस जीत में भी ऐसा करने की क्षमता है।’’

उन्होंने भारत के विश्व चैंपियन बनने को अविश्वसनीय करार देते हुए कहा कि उन्हें इसे आत्मसात करने में थोड़ा समय लगेगा।

मजूमदार ने कहा, ‘‘ यह अविश्वसनीय एहसास है और मुझे लगता है जैसे जैसे दिन बीतेगा इसे आत्मसात करता जाऊंगा।’’

भारत पर टूर्नामेंट के लीग चरण में दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से लगातार हार के बाद बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था लेकिन मजूमदार ने इसके बाद शानदार वापसी करने पर टीम के जज्बे की तारीफ की।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उनसे यही कहता था कि हम हार नहीं रहे हैं। बस उस बाधा को पार करने से चूक जा रहे हैं। हम उन तीनों मैचों में काफी प्रतिस्पर्धी रहे और ये सभी मैच काफी करीबी थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन लड़कियों ने इस तीन मैच में निराशा के बाद कमाल का जज्बा दिखाया। क्वार्टर फाइनल जैसे मैच में न्यूजीलैंड, सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया और फिर फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराना शानदार रहा।’’

भारत के लिए चोटिल सलामी बल्लेबाज प्रतिका रावल की जगह शेफाली वर्मा को टीम में शामिल करना फायदेमंद रहा। उन्होंने फाइनल में अपने हरफनमौला खेल (87 रन और दो विकेट) से टीम की जीत में अहम योगदान दिया। वह फाइनल में ‘प्लेयर ऑफ मैच भी चुनी गयी।

कोच ने कहा कि शेफाली के टीम में शामिल करने के पीछे उनकी गेंदबाजी क्षमता की अहम भूमिका थी।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिका रावल कमाल की खिलाड़ी है उन्होंने (वनडे में) रिकॉर्ड 23 मैचों में 1000 रन पूरे किये हैं। वह जब से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आयी है, शानदार रही है। दुर्भाग्य से वह यहां चोटिल हो गयी और शेफाली को मौका मिल गया। उन्होंने आज (फाइनल) जादुई पारी खेली । ’’

शेफाली ने सेमीफाइनल में पहले भारतीय टीम में शामिल होने के बाद नेट सत्र में सबसे अधिक समय बिताया था और फाइनल में इस 21 साल की खिलाड़ी ने अपनी पारी से प्रतिभा का लोहा मनवाया।

घरेलू क्रिकेट के सबसे दिग्गज खिलाड़ियों में शामिल मजूमदार ने कहा, ‘‘

ऐसा नहीं है कि शेफाली आज ही टीम में आयी है। वह सिर्फ एकदिवसीय प्रारूप में पिछले कुछ महीने से टीम का हिस्सा नहीं थी । वह टी20 अंतरराष्ट्रीय तो खेल ही रही थी और इंग्लैंड के हालिया दौरे पर भी हमारे साथ ही थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ शेफाली से गेंदबाजी के बारे में हमने बातचीत की थी क्योंकि वह घरेलू क्रिकेट में लगातार गेंदबाजी कर रही थी। हमें पता था कि वह जरूरत पड़ने पर कुछ ओवर डाल सकती है लेकिन इस मैच में उन्हें गेंदबाजी पर लाने का सारा श्रेय कप्तान हरमनप्रीत को जाता है।’’

मजूमदार ने कहा कि टूर्नामेंट से पहले ही बल्लेबाजी को मजबूत रखने के लिए यह तय हो चुका था कि किसी बल्लेबाज को छठे गेंदबाज की कमी पूरी करनी होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘टूर्नामेंट से पहले हमने इस बारे में बात की थी कि टीम में अगर छठा गेंदबाज आयेगा तो एक बल्लेबाज कम हो जायेगा ऐसे में किसी को उसकी भरपाई करनी होगी। ’’

उन्होंने टीम के खिलाडियों के साथ अपने काम को शानदार करार देते हुए कहा कि इस टीम में प्रतिभा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शेफाली जैसी खिलाड़ी को टूर्नामेंट के शुरुआती 15 खिलाड़ियों की सूची में भी जगह नहीं मिली।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के प्रतिभाओं के साथ काम करना शानदार है क्योंकि वे कौशल के मामले में कमाल के हैं। आप इस टीम में प्रतिभा का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि शेफाली जैसी खिलाड़ी को भी शुरुआती 15 खिलाड़ियों की टीम में जगह नहीं मिली थी। ’’

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