राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के घोड़े : भारत की घुड़सवार विरासत के जीते-जागते प्रतीक

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नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) भारत के राष्ट्रपति के “प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड” में शामिल मशहूर घोड़े विराट, विक्रांत, एब्सोल्यूट, अर्जुन और ग्लोरियस केवल औपचारिक घोड़े नहीं हैं, बल्कि देश की घुड़सवार विरासत की जीती-जागती मिसाल हैं।

इन घोड़ों का अनुशासन, शान और उनकी पक्की वफादारी राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (पीबीजी) के उसूलों को दिखाती है। पीबीजी भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है, जिसे 1773 में तत्कालीन गवर्नर-जनरल के अंगरक्षक (बाद में वायसराय के अंगरक्षक) के तौर पर बनाया गया था।

पीबीजी प्रतिवर्ष लगभग 70 घुड़सवार परेड और विस्तृत अभ्यास करते हैं। इनमें तीन मुख्य आयोजन शामिल हैं : गणतंत्र दिवस परेड, बीटिंग द रिट्रीट और संसद की शुरूआत (जब राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हैं)।

रेजिमेंट के कमांडेंट, कर्नल अमित बेरवाल ने बुधवार को बताया कि इनके अलावा पीबीजी द्वारा साप्ताहिक रूप से होने वाली औपचारिक गार्ड परिवर्तन परेड और राष्ट्रपति भवन में राष्ट्राध्यक्षों को एस्कॉर्ट करना भी शामिल है, जिसके माध्यम से उन्हें भारत की संस्कृति, गौरव और आतिथ्य का प्रदर्शन किया जाता है।

राष्ट्रपति भवन में भारत के सबसे विशिष्ट घुड़सवार सैनिकों और उनके ‘अश्व योद्धाओं’ की विरासत के बारे में जानकारी साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इन घोड़ों की हर उपस्थिति अनुशासन, परंपरा और भव्य प्रदर्शन का एक सहज मिश्रण होती है, जिसे पूरे भारत और दुनिया भर में लाखों लोग देखते हैं।

एक मीडिया संवाद में बेरवाल ने पीबीजी की अश्व परंपरा का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें इसका इतिहास, प्रजनन दर्शन, प्रशिक्षण कार्यप्रणाली, दैनिक प्रशासन और औपचारिक कद शामिल थे।

जब का कोई घोड़ा सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचता है, जो आमतौर पर 18 से 22 वर्ष के बीच होती है, तो उसे सेना के रीमाउंट और पशु चिकित्सा कोर डिपो में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहां वह अपने बाकी के साल शांति से बिता सकता है।

रेजिमेंट के भीतर कुछ घोड़ों को उनकी अद्वितीय सेवा के लिए याद किया जाता है और उनका सम्मान किया जाता है।

बेरवाल ने विराट और उसके साथी घोड़ों – विक्रांत, एब्सोल्यूट, अर्जुन और ग्लोरियस – के बगल में खड़े होकर कहा, “विराट ऐसा ही एक अश्व है, जिसे 2022 में थल सेनाध्यक्ष प्रशस्ति कार्ड से सम्मानित किया गया था और 26 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा उसे थपथपाया गया था।”

विराट की उम्र अब 25 साल हो गई है, जिसे सेवानिवृत्ति के बाद पीबीजी द्वारा गोद ले लिया गया है और अब उसकी देखभाल पीबीजी ही करता है।

पीबीजी परेड ग्राउंड का पवेलियन ‘फरियाद’ नामक घोड़े के नाम पर रखा गया है, जिसने पुइसेंस शो जम्पिंग में 195 सेंटीमीटर की छलांग लगाकर एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।

कर्नल बेरवाल ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति के इन निजी सैनिकों को दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन पर रिकॉर्ड 32 वर्षों तक तैनात रहने का अनूठा गौरव भी प्राप्त है।

इस रेजिमेंट की स्थापना 1773 में तत्कालीन बनारस में हुई थी, जिसकी शुरुआती टुकड़ी में बनारस के राजा चैत सिंह द्वारा प्रदान किए गए 50 घोड़े और ‘सवार’ शामिल थे। दो शताब्दियों से अधिक समय से, इस रेजिमेंट ने संप्रभु, और बाद में राष्ट्रपति, की सुरक्षा एवं युद्ध के मैदान में टोही और आक्रमण जैसे दायित्वों को निभाते हुए एक विशिष्ट घुड़सवार सेना के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।

इस रेजिमेंट को 1950 में औपचारिक रूप से ‘प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड’ (राष्ट्रपति अंगरक्षक) का नाम मिला। यह रेजिमेंट युद्ध के लिए तैयारी रखने के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन में औपचारिक कर्तव्य निभाती है। वर्तमान में इसमें लगभग 100 उच्च-मानक घोड़े शामिल हैं, जो भारत की घुड़सवार सेना विरासत के प्रतीक हैं।

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