राज्य के अधिकारों और वास्तविक संघीय ढांचे के लिए लड़ाई जारी रहेगी: स्टालिन

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चेन्नई, 21 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने राष्ट्रपति संदर्भ पर उच्चतम न्यायालय के परामर्श को लेकर शुक्रवार को कहा कि राज्य के अधिकारों और वास्तविक संघीय ढांचे के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

स्टालिन का यह बयान उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के एक दिन बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि अदालत राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति पर कोई समयसीमा नहीं थोप सकती, लेकिन राज्यपालों के पास विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोककर रखने की “असीम” शक्तियां भी नहीं हैं।

राष्ट्रपति द्वारा इस विषय पर परामर्श मांगे जाने पर, प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपनी सर्वसम्मति वाली राय में कहा कि राज्यपालों द्वारा “अनिश्चितकालीन विलंब” की सीमित न्यायिक समीक्षा का विकल्प खुला रहेगा।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि राज्यपालों के पास लंबित विधेयकों की मंजूरी के लिए समयसीमा तय करने के वास्ते संविधान में संशोधन होने तक उनका प्रयास जारी रहेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि अदालत की यह राय तमिलनाडु बनाम राज्यपाल मामले में अप्रैल 2025 में दिए गए फैसले को प्रभावित नहीं करेगी।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की राय इस बात की पुष्टि करती है कि राज्य में निर्वाचित सरकार ही मुख्य भूमिका में होनी चाहिए और सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा कि न्यायालय की राय स्पष्ट करती है कि राज्यपाल किसी विधेयक पर फैसला लेने में अनिश्चितकाल तक देरी नहीं कर सकते और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संविधान की मर्यादाओं में रहकर ही काम करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत ने यह भी साफ कर दिया है कि राज्यपाल के पास किसी विधेयक को रद्द करने या ‘पॉकेट वीटो’ लगाने जैसा कोई चौथा विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अदालत का रुख कर सकती हैं और राज्यपाल की जानबूझकर की गई देरी या निर्णय न लेने के लिए उन्हें जवाबदेह ठहरा सकती हैं।

स्टालिन ने 1974 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह परामर्श उतना ही प्रभावी है जितनी कानून अधिकारियों की राय होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानूनी लड़ाई के जरिए “हमने उन राज्यपालों को भी सरकार के अनुरूप काम करने पर मजबूर किया, जो निर्वााचित सरकारों से अलग कार्य कर रहे थे।”

उन्होंने कहा, “कोई भी संवैधानिक अधिकारी संविधान से ऊपर नहीं हो सकता।”

स्टालिन ने कहा, “जब कोई उच्च पद धारी संविधान का उल्लंघन करता है, तो संवैधानिक न्यायालय ही एकमात्र उपाय होते हैं। अदालतों के दरवाजे बंद नहीं होने चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “हम सुनिश्चित करेंगे कि हर संवैधानिक संस्थान संविधान के अनुसार ही काम करे।”

उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर राज्यपाल के ‘पॉकेट वीटो’ के सिद्धांत और यह दावा खारिज कर दिया है कि राजभवन किसी विधेयक को रोककर रद्द कर सकता है

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