दलित, आदिवासी और महिलाओं के बलिदान को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला : राजनाथ
Focus News 16 November 2025 0
लखनऊ, 16 नवंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वामपंथी इतिहासकारों पर दलित नायकों विशेष रूप से पासी समाज के इतिहास की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि दलित, आदिवासी, महिलाओं और पिछड़े समुदायों के असंख्य वीरों के बलिदान को इतिहास के पन्नों में जो स्थान मिलना चाहिए, वह उचित स्थान उन्हें नहीं मिला है।
लखनऊ में पासी चौराहे पर वीरांगना ऊदा देवी पासी की प्रतिमा के अनावरण और स्वाभिमान समारोह के आयोजन स्थल पर रविवार को लोगों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ”दलित, आदिवासी, महिलाओं और पिछड़े समुदायों के असंख्य वीरों के बलिदान को इतिहास के पन्नों में जो स्थान मिलना चाहिए, वह उचित स्थान उन्हें नहीं मिला है। इन नायकों को न सिर्फ पढ़ाया जाना चाहिए था, बल्कि ऐसे नायकों को पूजा जाना चाहिए था।”
रक्षा मंत्री ने दावा किया कि ”वामपंथी इतिहासकारों ने अपनी सुविधा से इतिहास लिखा, जिसमें दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता तथा बलिदान को उन्होंने जानबूझकर दरकिनार किया।”
सिंह ने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि ”पहले की सरकारों में पासी और दलित समाज के नायकों को जो स्थान मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिला।”
उन्होंने महाराजा सतन पासी, महाराजा लाखन पासी, महाराजा सुहेलदेव, रानी अवंती बाई और स्वतंत्रता सेनानी ऊदा देवी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनके नाम “स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने चाहिए थे”।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा, ”मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अभिनंदन करता हूं कि जो काम वो लोग (पूर्ववर्ती सरकारें) नहीं कर पाए, वह कार्य इस समय योगी जी कर रहे हैं।”
सिंह ने बिना नाम लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ”भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को इस तरह प्रस्तुत किया गया मानो आजादी की लड़ाई एक ही पार्टी (कांग्रेस) और कुछ विशेष वर्गों ने ही लड़ी और यही धारणा बनाने की कोशिश की गई।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि ”इससे लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो गया कि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कुछ गिने चुने परिवारों ने किया, परिणामस्वरूप उन हाशिए पर रहे समुदायों के संघर्ष और बलिदान को नजरअंदाज कर दिया गया, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उनके योगदान को नकार दिया गया।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने कहा कि ”पासी समाज जैसे समुदाय जिन्होंने अपने पराक्रम, अपने त्याग और संघर्ष से आजादी के आंदोलन को मजबूती दी थी और उसको इतिहास में जो उचित स्थान मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिला, जबकि वे भी आजादी की महान यात्रा के समान रूप से भागीदार और उसके नायक रहे।”
सिंह ने कहा कि ”यह अत्यंत दुख की बात है कि इतिहासकारों ने पासी साम्राज्य पर कोई किताब ही नहीं लिखी। विद्वानों ने कभी इस वीर समुदाय पर कभी शोध नहीं किया। पहले की सरकारों ने कभी भी पासी साम्राज्य के बारे में कोई कोशिश नहीं की। पुस्तकालयों में शायद ही कोई गिनी चुनी किताब मिले जिसमें पासी साम्राज्य का जिक्र हो। जबकि पासी समाज से आने वाले राजाओं ने बहुत लंबे समय तक इस देश पर शासन किया।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि ”पासी समुदाय ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया, चाहे 1857 की पहली लड़ाई हो या अवध किसान आंदोलन हो। एक आंदोलन में मदारी पासी का योगदान कोई नहीं भूल सकता है।”
उन्होंने कहा कि ”मदारी पासी ने अन्याय के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका। जब किसानों पर बहुत लगान लगाई गई तो मदारी पासी उस समय किसानों के मसीहा बनकर खड़े हुए। उन पर अंग्रेजों ने एक हजार रुपये का इनाम रखा था लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद अंग्रेज मदारी पासी को पकड़ नहीं पाये।”
सिंह ने दावा किया कि ”पासी समाज का इतिहास राजा अशोक मौर्य से भी पुराना माना जाता है।”
उन्होंने कहा, ”मैं आज पासी समाज और हम सभी के नायक महाराजा बिजली पासी का स्मरण करना चाहता हूं जो पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। उन्होंने बिजनौर की स्थापना की। उनके शासनकाल की समृद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 12 मजबूत किलों का निर्माण कराया था। यह न केवल उनकी समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि उनकी शक्ति और रणनीतिक कुशलता का भी प्रतीक है।”
सिंह ने कहा कि ”मैं इसे इतिहास की विफलता ही नहीं मानता बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी में कमी रही कि पासी समाज का जैसा इतिहास लिखा जाना चाहिए, वह नहीं लिखा गया। मुगलों के इतिहास को बढ़ा-चढ़ाकर बताने वालों ने इन वीरों को जो सम्मान मिलना चाहिए वह उन्हें नहीं दिया।”
उन्होंने कहा कि ”हमारे इतिहास की किताबों में भी मान्यता नहीं मिली। यह हमारा दायित्व है कि हम विस्मृत इतिहास को पुनः सामने लाएं। जो इतिहास मिटाने की कोशिश की गई है, विद्वानों से आह्वान है कि भूले-बिसरे इतिहास को सामने लाएं, ताकि पासी समाज का इतिहास देश की चेतना में फिर से एक बार जागृत हो सके। राष्ट्र की असली ताकत तभी पूरी तरह प्रकट होती है जब हर वर्ग को उसका सम्मान मिले।”
उन्होंने कहा, ”वर्ष 2000 में हमारी सरकार बनी तो महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया और हमारी सरकार ने गुमनाम नायकों को आगे लाने का कार्य किया। योगी आदित्यनाथ ने पासी समाज के इतिहास को पाठ्यक्रम में हिस्सा बनाने का जो फैसला किया, उसके लिए उनको बधाई देना चाहता हूं।”
रक्षा मंत्री ने कहा, ”बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बना है, वैसा ही लखनऊ में महाराजा बिजली पासी का स्मारक बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री जी के इस फैसले की सराहना की जानी चाहिए। ताकि इन वीरों के बारे में आम लोगों को भी जानकारी हो सके।”
सिंह ने कहा कि ”हम लोगों की हमेशा से यह कोशिश रही है कि दलित समाज के नायकों को सब लोग जानें, जिससे समाज में एकता बढ़ेगी। यदि दलित समाज के नायकों को सब लोग जानेंगे तो एकता बढ़ेगी और एक दूसरे के लिए सम्मान बढ़ेगा।”
