जयपुर, राजस्थान के तीन मंत्रियों ने प्रस्तावित डूंगरी बांध को लेकर करौली और सवाई माधोपुर के कई गांवों के लोगों में नाराजगी के बीच शुक्रवार को साफ किया कि इस परियोजना से सिर्फ 16 गांव प्रभावित होंगे।
मंत्रियों ने इस दावे को खारिज कर दिया कि 70 से ज्यादा गांव डूब क्षेत्र में आएंगे।
इस मुद्दे को लेकर कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने यहां सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन किया।
मंत्रियों ने कहा कि डूंगरी बांध संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस बांध के निर्माण से मुख्यतः सवाई माधोपुर और करौली की 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी और लोगों को भरपूर पेयजल मिलेगा।
मीणा ने कहा कि यह बांध संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के तहत बनाया जाना है, इससे मात्र 16 गांवों की आबादी ही डूब क्षेत्र से प्रभावित होगी जबकि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि 76 गांव प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार परियोजना से विस्थापित होने वाले परिवारों के पुनर्वास को लेकर गंभीर है और उन्हें नियमानुसार मुआवजा प्रदान करते हुए विभिन्न सुविधाओं के साथ नजदीक ही बसाया जाएगा।
जल संसाधन मंत्री रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों के लिए संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना का उद्घाटन किया था और मुख्यमंत्री शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार इसे जल्द से जल्द क्रियान्वित करने के लिए संकल्पित है।
उन्होंने कहा कि इसी दिशा में यह बांध महत्वपूर्ण कड़ी है और बांध निर्माण से कालीसिंध, पार्वती और चम्बल से समुद्र में व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को रोका जा सकेगा।
गृह राज्य मंत्री बेढ़म ने कहा कि इस परियोजना की सफलता को रोकने के लिए कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं।
उन्होंने लोगों से गुमराह न होने की अपील की और राज्य हित में बनाए जा रहे बांध के निर्माण में सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया।