मुंबई, छह नवंबर (भाषा) आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में ऊंचे मूल्यांकन को लेकर उत्पन्न चिंताओं के बीच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि पूंजी बाजार नियामक इस पहलू में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
पांडेय ने यहां एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ हम मूल्यांकन का निर्धारण नहीं करते। यह निवेशक के आकलन पर निर्भर करता है।’’
लेंसकार्ट के 7,200 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की कीमत बहुत अधिक रखे जाने पर चिंता जताए जाने के कुछ दिन बाद आई इस टिप्पणी में पांडेय ने स्पष्ट किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इस पहलू में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि बाजार को अवसरों के आधार पर मूल्य निर्धारण स्वतंत्र रूप से करना चाहिए।
अतीत में भी, कई हितधारकों द्वारा मूल्यांकन संबंधी चिंताएं उठाई गई हैं। खासकर से नए युग या डिजिटल कंपनियों जैसे नाइका या पेटीएम के आईपीओ के मामले में।
इस बीच, एक्सीलेंस इनेबलर्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पांडेय ने कंपनियों से कहा कि उन्हें पर्यावरण, सामाजिक एवं प्रबंधन (ईएसजी) प्रतिबद्धताओं के प्रति अधिक ‘‘प्रामाणिक’’ होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ ईएसजी प्रामाणिक होना चाहिए, न कि ब्रांडिंग अभ्यास।’’
पांडेय ने कहा कि इसे मापने योग्य परिणामों से जोड़ा जाना चाहिए, स्वतंत्र आश्वासन के अधीन होना चाहिए और वास्तविक बोर्ड निरीक्षण में निहित होना चाहिए।
यह स्पष्ट करते हुए कि ईएसजी अब वैकल्पिक नहीं है, पांडेय ने कहा कि व्यवसाय को विनियमों को लाभ में बदलना होगा न कि एक दायित्व में, जिसका अनुपालन किया जाना आवश्यक है।
पांडेय ने यह भी कहा कि कंपनियों के निदेशकों एवं वरिष्ठ प्रबंधन को साइबर जोखिम, व्यवहार विज्ञान, डेटा नैतिकता और स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी क्षमता को मजबूत करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ आज के बाजार की जटिलता औपचारिक निरीक्षण की नहीं, बल्कि सूचित निर्णय की मांग करती है।’’