जीवन का एक महत्त्वपूर्ण आयाम सुख है जिसकी अभिव्यक्ति हंसी है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त औषधि के अनेक रुपों में से हंसी को सर्वोत्तम औषधि माना गया है, क्योंकि यह चिंता, तनाव एवं अवसाद को कम करती है। हंसी एक प्रकार का वातापेक्षी व्यायाम, पीड़ानाशक, स्वास्थ्य प्रोत्साहक एवं शरीर के प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाने वाली क्रिया है। पाश्चात्य देशों के हंसी उपचार से हमारी हंसी का प्रयोग कुछ भिन्न है। यूरोपीय देशों में हंसी के लिए क्लीनिक की व्यवस्था है जहां ऑडियो-वीडियो, कामिक्स तथा मजाकिया पुस्तकों के माध्यम से हंसी को प्रोत्साहित कर रोग उपचार किया जाता है। हमारे यहां इस प्रकार की व्यवस्था तो नहीं है लेकिन योग संस्थानों में रोग के निवारण के लिए लोगों को हंसने की शिक्षा दी जाती है। हंसी जीवन के छोटे-छोटे दैनिक तनावों को दूर कर प्रसन्नता देती है। यह चिंता, निराशा एवं तनाव को कम करती है जिससे हृदय रोग, मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप की संभावनाओं में कमी आती हैं हंसने से शरीर में एड्रिनलिन एवं नॉर-एड्रिनालिन के साथ कैटकोलामिन स्रावित होते हैं जो शरीर में रक्त संचार को बढ़ावा देते हैं जिससे रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। इस प्रकार गठिया, संधिवात, स्पोन्डिलाइटिस आदि बीमारियों को ठीक करने में हंसना लाभदायक सिद्ध होता है। हंसने से एंडार्फिन एवं एनकेफालिन्स नामक दो प्राकृतिक एंडार्फिन रसायन स्रावित होते हैं जो दर्दनाशक का काम करते हैं। वैज्ञानिक तथ्यों के मुताबिक दर्द निवारण के लिए हंसना सर्वोत्तम औषधि माना गया है क्योंकि दर्द निवारण के साथ यह जीवन में दुःख के समय भी खुशी पैदा कर देती है। हंसी शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ावा देती है। यह शरीर में इम्युनोग्लोब्युलिन के स्तर को बढ़ाती है, जिसका रोग निरोध में अत्यधिक योगदान रहता है। डॉ. फ्रायड का मानना है कि प्रतिदिन सौ बार हंसना दस मिनट की जागिंग के बराबर है। हंसी फेफड़े की जीवनी क्षमता एवं ऑक्सीकरण को बढ़ाती है। यह फेफड़े के रोग की एक दवा हो सकती है। हंसने का जीवन से घनिष्ठ संबंध है क्योंकि इससे व्यक्ति के आपसी संबंध सुधरते हैं। यह ध्यान योग की आसान प्रक्रिया भी है। हंसने से एकाग्रता बढ़ती है तथा परीक्षाओं में लोग इससे अच्छी उपलब्धि प्राप्त कर पाते हैं। इस क्रिया से खिलाडि़यों, अभिनेताओं एवं गायकों में आत्मबल की वृद्धि के साथ-साथ उनके क्रिया कलापों में उत्तरोत्तर वृद्धि देखी जाती है। लिहाजा कहना चाहेंगे कि आप भी रोज हंसिए, खूब हंसिए, दूसरों को हंसाइए। सुख में तो सभी हंसते हैं, जरा दुःख में भी हंसकर देखिए। प्रसन्नता अवश्य मिलेगी। राहत अनुभव करेंगे। तो देर किस बात की? हंसिए न।