मुंबई, सात नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शुक्रवार को विपक्ष से अपील की कि वे एक महीने तक प्रतीक्षा करें, जब तक कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ से जुड़ी एक कंपनी द्वारा पुणे में 300 करोड़ रुपये की जमीन के सौदे पर उच्च स्तरीय समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देती।
विपक्षी नेताओं द्वारा अजित पवार के इस्तीफे की मांग किये जाने के सवाल पर बावनकुले ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खरगे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित कर पहले ही त्वरित कार्रवाई की है।
उन्होंने कहा, ‘‘ समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट मिलते ही, इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभी आरोप-प्रत्यारोप में उलझने से बेहतर है कि रिपोर्ट का इंतजार किया जाए।’’
पार्थ पवार से संबंधित एक कंपनी के 40 एकड़ भूखंड के 300 करोड़ रुपये के सौदे में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। जांच के अलावा, एक उप-पंजीयक को निलंबित कर दिया गया है और तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
बावनकुले ने कहा कि प्राथमिकी में पार्थ पवार का नाम नहीं है क्योंकि दस्तावेज पर हस्ताक्षर के समय वह उप-पंजीयक कार्यालय में मौजूद नहीं थे।
मंत्री ने कहा, ‘‘कंपनी में उनकी हिस्सेदारी हो सकती है, लेकिन प्राथमिकी में उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने पंजीकरण के दौरान कागजात पर हस्ताक्षर किए थे।’’
एक अधिकारी के अनुसार, पुणे के पॉश इलाके मुंधवा में महार (अनुसूचित जाति) समुदाय की वंशानुगत 40 एकड़ ‘महार वतन’ जमीन, अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को बेच दी गई, जिसका प्रतिनिधित्व उसके साझेदार दिग्विजय अमरसिंह पाटिल करते हैं। इस सौदे में स्टांप शुल्क माफ कर दिया गया। पार्थ पवार भी इस कंपनी में साझेदार हैं।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री फडणवीस के निर्देश पर गठित खरगे समिति इस बात की जांच करेगी कि यह जमीन निजी कंपनी को कैसे बेची गई।
राज्य सरकार ने दस्तावेज पंजीकरण में कथित अनियमितताओं के लिए पुणे के हवेली नंबर चार कार्यालय के एक उप-पंजीयक को निलंबित कर दिया है।
विपक्ष का कहना है कि इस सौदे पर 21 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क माफ किया गया।
फडणवीस ने बृहस्पतिवार को इस लेन-देन को ‘प्रथम दृष्टया गंभीर’ बताया और कहा कि उन्होंने अधिकारियों को सभी विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने नागपुर में कहा, ‘‘मैंने जांच के आदेश दे दिए हैं और संबंधित विभागों से जानकारी मांगी है।’’
अजित पवार ने इस लेन-देन से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार करते हुए कहा,‘‘इस जमीन सौदे से मेरा दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। मुख्यमंत्री को इसकी जांच ज़रूर करनी चाहिए। यह उनका अधिकार है।’’
शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जांच से ‘‘कुछ भी ठोस नहीं निकलेगा’’ और सरकार अंततः इसमें शामिल लोगों को ‘क्लीन चिट’ दे देगी।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टिवार ने न्यायिक जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि सरकारी विभागों के जरिए ज़मीन हस्तांतरण और कर माफ़ी की मंजूरी ‘रॉकेट की गति से’ से दी गई।