बिहार में नोटा का प्रभाव बढ़ा, 2020 के मुकाबले दो लाख से अधिक मतदाताओं ने दबाया नोटा बटन

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पटना, 17 नवंबर (भाषा) बिहार विधानसभा चुनाव में नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) एक बार फिर से सुर्खियों में है, जहां इस विकल्प को मिले वोट कई सीट पर निर्णायक साबित हुए। राज्य की 26 विधानसभा सीट पर नोटा को मिले वोट हार-जीत के अंतर से अधिक रहे, जिससे चुनाव के नतीजों पर इसका सीधा असर पड़ा है।

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में 7,06,293 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था जबकि 2025 में यह संख्या बढ़कर 9,10,710 हो गई। हालांकि यह आंकड़ा वर्ष 2015 के मुकाबले कम है, जब 9,47,279 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।

सबसे अधिक 8,634 नोटा वोट कल्याणपुर सीट पर डाले गए। इसके अलावा गड़खा, कुशेश्वरस्थान, मधुबन और खगड़िया जैसी सीट पर भी नोटा के वोट ने नतीजों की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, 26 सीट पर नोटा को मिले वोट हार-जीत के अंतर से अधिक होने के कारण राजनीतिक दलों और रणनीतिकारों को अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर होना पड़ा है।

राजनीतिक विश्लेषक सुभाष पांडे ने कहा कि मतदाताओं के बीच नोटा का बढ़ता चलन इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जनता उम्मीदवारों के चयन को लेकर असंतुष्ट है। उन्होंने कहा, ‘‘नोटा के बढ़ते वोट राजनीतिक दलों को एक सशक्त संदेश देते हैं। कई सीट पर नोटा ने चुनावी समीकरण बिगाड़े हैं, जिससे पार्टियों की चिंता बढ़ गई है।’’

बिहार में नोटा का उभरता रुझान यह दर्शाता है कि मतदाता विकल्प की तलाश में हैं और राजनीतिक दलों को उम्मीदवार चयन तथा स्थानीय मुद्दों पर अधिक गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।

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