सर्दियों में स्वास्थ्य रक्षा

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शरीर के कुछ अंगों जैसे नाक, कान, गला, हाथ और पैर को सर्दी की बर्फीली ठण्ड से बचाने के लिए ऊनी कपड़ों से ढका रहना स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। उल्लेखनीय है कि नाक और कान के माध्यम से ही सर्दी की ठण्डी हवा शरीर के अन्दर काम करने वाले यन्त्रों पर हमला कर नुकसान पहुंचा देती है जिससे भला-चंगा शरीर कुछ ही पलों में कमजोरी का शिकार होकर सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया जैसे भयानक रोग से पीडि़त हो जाता है। इस लिए इन महत्त्वपूर्ण अंगों को सर्दी के प्रकोप से बचाना आपके लिए लाभदायक होगा।
ऐसा देखने और सुनने में आता है कि सर्दी के दिनों में ठण्ड से बचने के लिए कुछ लोग कई-कई दिनों तक नहीं नहाते। यह बहुत बुरी बात है। एक ओर जहां आप ठण्ड से बचने के लिए नहीं नहाएंगे, वहीं आपकी त्वचा गन्दी होकर विभिन्न रोगों के कीटाणुओं का शरण स्थल बन जायेगी जिससे आपको कई नई बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है, इसलिए नहीं नहाने से अच्छा है कि आप नहायें। हां, ठण्डे पानी से नहीं, गर्म पानी से ही नहाएं लेकिन नहाने से पहले अगर आप धूप में बैठकर सरसों के तेल की जमकर शरीर की मालिश करें और उसके बाद धूप स्नान करें तो आपको ठण्ड का अहसास भी नहीं होगा और आपका मन भी प्रफुल्लित रहेगा।
कई लोग देर से खाने के आदी होते हैं। उन्हें जाड़े में ठण्डा भोजन बिलकुल नहीं करना चाहिए। इससे सर्दी खांसी होने की पूरी संभावना रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठण्डा भोजन गर्म करके कभी नहीं खाना चाहिए। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है, इस लिए जरूरी है कि आप जाड़े के दिनों में गर्म खाना जल्दी खाने की कोशिश करें।
यह भी देखने में आता है कि जाड़े के दिनों में कई लोग घर से बाहर तक नहीं निकलते। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। शरीर को पर्याप्त ऊर्जा के लिए सूर्य का प्रकाश मिलना बहुत जरूरी है। इसलिए दिन में दो तीन घंटे तो सर्दी की सुहानी धूप का मजा अवश्य लेना चाहिए।
कुछ लोग तो घर के दरवाजे और खिड़कियां बिलकुल ही बंद रखते हैं। ऐसा वे अज्ञानतावश ठंडी हवाओं के थपेड़ों से बचने के लिए करते हैं लेकिन उन्हें यह जान लेना चाहिए कि दरवाजे और खिड़कियां बिलकुल बंद रहने से बाहर की ठण्डी और ताजी हवा न तो घर में पहुंचेगी और न ही कमरे की बासी हवा बाहर निकल पायेगी। इससे वातावरण दूषित होने की संभावना रहती है। इसलिए घर के खिड़की और दरवाजे को समय समय पर कुछ देर के लिए अवश्य ही खोले रखें।
घर के रजाई और बिछावन को दो या तीन दिन के बाद धूप में अवश्य ही रखना चाहिए। इससे बिछावन पर इकट्ठे छोटे-छोटे कीटाणु धूप के सम्पर्क में आकर मर जायेंगे और बिछावन भी गर्म रहेगा।
अगर घर में धूप न आती हो तो जाली वाले खिड़की दरवाजे खुले रखें, ताकि बासी हवा निकल जाए और विछावन को ताजी हवा लग सके। अक्सर देखा जाता है कि जाड़े के दिनों में शरीर की त्वचा रूखी रूखी सी हो जाती है। हाथ, पैर, गालों और होंठों की त्वचा फट सी जाती है। ऐसा अत्यधिक ठण्ड के प्रकोप से होता है। इससे बचने  के लिए ऊनी कपड़ों का तो इस्तेमाल करना ही चाहिए, साथ ही रात में सोने से पहले नारियल तेल की मालिश जरूरी करनी चाहिए। कान, नाक, नाभि और पैर के तलवों पर सरसों का तेल लगायें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इससे त्वचा सामान्य ही रहेगी।
अगर आप एंटी सेप्टिक क्रीम का प्रयोग करें तो यह उचित होगा। घर पर चाहें तो ग्लिसरीन, नींबू का रस और गुलाब जल मिलाकर हाथ पांव पर नमी हेतु लगा सकते हैं। अगर आप इन महत्त्वपूर्ण बातों पर ध्यान देंगे तो सर्दी का यह मौसम आपको खुशगवार लगेगा तथा होंठों पर मुस्कुराहट लिए आप मौसम का पूरा आनंद उठा सकेंगे।  

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