जब लगातार आलोचना हो रही थी तब हरमन और स्मृति ने टीम को एकजुट रखा: नीतू डेविड

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नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) नीतू डेविड को भारतीय महिला क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता के तौर पर अपने पांच साल के कार्यकाल के इससे बेहतर समापन की उम्मीद नहीं होगी क्योंकि उन्होंने रविवार रात को हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली टीम के विश्व कप जीतने से पहले बड़े मंच पर कई दिल तोड़ने वाले पल देखे थे।

हाल ही में नई चयन समिति नियुक्त की गई थी लेकिन नीतू और उनकी टीम ने ही स्वेदश में होने वाले एकदिवसीय विश्व कप के लिए टीम चुनी थी।

सभी तरह के संसाधन होने के बावजूद भारतीय महिला टीम का विश्व खिताब जीतने का इंतजार लंबा होता जा रहा था जिसमें आईसीसी प्रतियोगिताओं में अच्छी स्थिति में होने के बावजूद हारना आम बात हो गई थी।

हरमनप्रीत, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिग्स सहित सीनियर खिलाड़ियों की अहम पलों में लड़खड़ाने के लिए कड़ी आलोचना हुई थी। घरेलू दर्शकों के सामने भारत ने हालांकि परीकथा जैसा अंत किया और किस्मत तथा हिम्मत के सही मेल से आखिरकार ट्रॉफी जीत ली गई।

नवी मुंबई में इस शानदार नतीजे के बाद पीटीआई से बात करते हुए आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल और पूर्व भारतीय स्पिनर नीतू ने उन वजहों के बारे में बताया कि वर्षों की निराशा के बाद इस बार भारत कैसे जीत हासिल कर पाया।

नीतू ने कहा कि इस टीम की काफी आलोचना हुई थी लेकिन सीनियर खिलाड़ियों ने टीम को एकजुट रखा और इसका फायदा मिला।

उन्होंने कहा, ‘‘इस टीम की बहुत आलोचना हुई। कोच आए और गए। बहुत सारे उतार-चढ़ाव आए। लोग कह रहे थे कि जब बीसीसीआई उनके लिए सब कुछ कर रहा है तब भी वे हारते रहते हैं। लोगों ने कहा कि वे हर बार ऑस्ट्रेलिया से हार जाते हैं लेकिन सीनियर खिलाड़ियों (हरमन, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिग्स, दीप्ति शर्मा) ने टीम को एकजुट रखने में अहम भूमिका निभाई।’’

नीतू ने कहा, ‘‘जब अमोल मजूमदार मुख्य कोच बने (अक्टूबर 2023 में) तो उनका विजन साफ था। यह अब या कभी नहीं वाली बात थी। पिछले 18 महीनों में लड़कियों और सहायक स्टाफ की कड़ी मेहनत मैंने खुद शिविर में देखी है, अब यह सबके सामने है।’’

नीतू ने कहा कि आलोचना के बावजूद सीनियर खिलाड़ियों ने इसे सकारात्मक रूप से लिया क्योंकि अगर वे नकारात्मक हो जातीं तो शायद वापसी नहीं कर पातीं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब आपकी आलोचना होती है तो आपको बुरा लगता है लेकिन उन्होंने (हरमन, स्मृति, जेमी, दीप्ति) इसे सकारात्मक तरीके से लिया। अगर वे नकारात्मक हो जातीं तो शायद वे वापसी नहीं कर पातीं। नतीजा आपके सामने है। स्वदेश में इतने अधिक दबाव वाले माहौल में प्रदर्शन करना। लड़कियों दबाव से काफी अच्छी तरह से निपटीं।’’

नीतू ने कहा, ‘‘यह कोई तुक्का नहीं था। हमने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को हराया। हमें तीनों विभाग में सुधार की जरूरत थी, विशेषकर क्षेत्ररक्षण में और हमने वह कर दिखाया। गेंदबाजी कोच अविष्कार साल्वी की कोशिशें भी काबिले तारीफ हैं। स्ट्रेंथ और अनुकूलन कोच हर्षा आए और उन्होंने शानदार काम किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अमोल ने लड़कियों के साथ बिना थके काम किया और टीम की हर सदस्य के साथ अलग-अलग बल्लेबाज सत्र किए। वह शांत दिखते हैं लेकिन बहुत आक्रामक हैं।’’

हाल में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने वाली क्रांति गौड़, श्री चरणी और प्रतिका रावल जैसी युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नीतू ने कहा, ‘‘जब चोटों की वजह से रेणुका सिंह और पूजा वस्त्राकर टीम में नहीं थीं तो हम तेज गेंदबाजी आक्रमण को लेकर चिंतित थे। हमें क्रांति मिली जिसमें आगे बढ़ने का जज्बा कमाल का है। वह अपनी उम्र के हिसाब से बहुत परिपक्व है। वह पाकिस्तान के मैच में स्लिप में क्षेत्ररक्षक लगाना चाहती थी और जल्द ही उसे विकेट मिल गया। उसका ध्यान बहुत केंद्रित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिका भारतीय टीम के लिए बेहतरीन खोज रही हैं। अमनजोत कौर ने भी ऑलराउंडर के तौर पर बड़ा प्रभाव डाला है। इस जीत के बाद मैं कहूंगा कि भारत में महिला क्रिकेट का भविष्य सबसे उज्ज्वल है। आपको बहुत सारी प्रतिभा देखने को मिलेगी।’’

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