नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार कृत्रिम मेधा (एआई) क्षेत्र में तत्काल नियमन लागू करने के बजाय नवाचार को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देगी।
विनियमन संबंधी चिंताओं पर कृष्णन ने कहा कि प्राथमिक उद्देश्य एआई नवाचार के लिए अनुकूल परिवेश तैयार करना है जिसमें क्षेत्र के विकास के साथ विनियमन भी शामिल हो।
कृष्णन ने ‘सीएनबीसी-टीवी18 के ग्लोबल लीडरशिप समिट’ 2025 में कहा, ‘‘आज मूलतः नवाचार पर जोर दिया जा रहा है। जोर इस बात पर है कि एआई के क्षेत्र में नवाचार को पर्याप्त अवसर मिले ताकि हम इस प्रौद्योगिकी के लाभों का भरपूर लाभ उठा सकें। साथ ही, इससे होने वाले संभावित नुकसानों से भी बच सकें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘…हमारा एआई और भारत एवं विश्व पर इसके प्रभाव के बारे में बहुत सकारात्मक दृष्टिकोण है। इसलिए हमें इस क्षेत्र में नवाचार को यथासंभव अधिक स्थान देने की आवश्यकता है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भारत के लोगों द्वारा प्रौद्योगिकी के रूप में एआई के वास्तविक लाभों को हासिल करने की जरूरत है।’’
मंत्री ने कहा कि सभी प्रौद्योगिकियों की तरह इसमें भी कुछ ऐसे तत्व होंगे जो समस्या उत्पन्न करेंगे और जहां भी समस्याएं उत्पन्न होंगी, सरकार मौजूदा कानूनी ढांचे का उपयोग करेगी एवं आवश्यकता के आधार पर मौजूदा नियमों में बदलाव करेगी या कानून बनाएगी।
सूचना प्रौद्योगिकी सचिव कृष्णन ने कहा कि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को जारी रखने और बढ़ाने के लिए आंतरिक चर्चा तथा परामर्श जारी है। यह इस वर्ष पूरा हो सकता है।
एआई को अपनाने के कारण आईटी क्षेत्र में रोजगार को लेकर उत्पन्न होने वाली व्यवधान संबंधी चिंताओं पर कृष्णन ने नौकरियों की बदलती प्रकृति को स्वीकार किया लेकिन इस बात पर जोर दिया कि ‘‘ रोजगार पर प्रभाव उतना गंभीर नहीं होगा’’ जितनी इसकी आशंका थी।
उन्होंने कौशल विकास एवं हुनर को और निखारने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि नए प्रवेशकों और अनुभवी श्रमिकों दोनों को ही बाजार की बदलती आवश्यकताओं के लिए तैयार रहना चाहिए।