नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ हौंग्बो ने कहा कि भारत में श्रम संहिताएं लागू होने के बीच सरकार, नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच सामाजिक संवाद बहुत जरूरी है, तभी ये संहिताएं कर्मचारियों और कारोबार, दोनों के लिए फायदेमंद होंगी।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ”भारत में श्रम संहिताओं को लागू किए जाने को मैं बड़ी दिलचस्पी से देख रहा हूं। खासकर सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम मजदूरी से जुड़े हिस्सों को।”
इस बीच श्रम संहिताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए पॉलिसीबाजार फॉर बिजनेस के निदेशक सज्जा प्रवीण चौधरी ने कहा कि 40 साल से ऊपर के कर्मचारियों के लिए सालाना स्वास्थ्य जांच अनिवार्य करना यह दिखाता है कि अब संगठन अपने कर्मचारियों की सेहत को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लंबे समय में यह नीति और सक्रिय स्वास्थ्य प्रबंधन का मेल नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को फायदा देगा।
फाउंडेशन फॉर इकॉनॉमिक डेवलपमेंट के संस्थापक और निदेशक राहुल अहलूवालिया ने कहा कि नई श्रम संहिताएं विनिर्माताओं के लिए अनुपालन बोझ कम करती हैं और छंटनी की सीमा, तिमाही कार्य घंटे जैसे कई मामलों में राज्यों को अच्छा लचीलापन देती हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ चिंताएं भी हैं, जैसे अब सेवा क्षेत्र पर भी कई सख्त कानून लागू होंगे जो पहले सिर्फ फैक्टरियों पर लागू थे।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर अखिल चंदना ने कहा कि उद्योग को उम्मीद थी कि ये संहिताएं कुछ समय बाद लागू होंगी, लेकिन अब उन्हें जल्दी से अपनी नीतियां, एचआर प्रक्रिया और कामकाज को नई संहिताओं के मुताबिक ढालना चाहिए।