पिछले दिनों मुझे वैष्णो देवी मंदिर जाने का अवसर मिला वहां ट्रस्ट की तरफ से प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। सूखा प्रसाद होने के कारण वहां प्रसाद को लेकर कोई विवाद नहीं था। लेकिन जब मैं पहाड़ों से नीचे उतर कर माता चिंतपूर्णी के दर्शनों के लिए गया तो वहां चर्चाएं सुनने को मिली कि प्रसाद का पूरी-हलवा बनाने के लिए कौन सा घी या पाम ऑयल प्रयोग किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वहां काफी समय से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई भी सैंपल नहीं लिया गया यद्यपि दुकानों में तैयार किया जा रहा पूरी-हलवा किसी ट्रस्ट के अधीन नहीं है। दुकानदार स्वयं ही इसे तैयार करते हैं। प्रसाद जिसे हिन्दू धर्म में बड़ी श्रद्धा भावना का प्रतीक माना जाता है लेकिन जिस प्रकार ‘प्रसादÓ को भी लालची लोगों ने लूट का साधन बना लिया यह एक कटु आलोचना का विषय है। सूत्रों से पता चला है कि पंजाब के अधिकतर हिस्सों में तो मंगलवार को हनुमान जी की चढ़ाई जाने वाली बूंदी भी अब बेसन की बजाए मैदे की बन रही है। मैदे में हल्के पीले रंग का प्रयोग किया जा रहा है। भारत में करोड़ों मंदिर हैं जहां पर विशेष प्रकार का प्रसाद चढ़ता है। प्रत्येक देवता को विशेष प्रकार का प्रसाद भेंट किया जाता है। कई मंदिरों का प्रसाद कुछ अनोखा होता है।
काली मंदिर (कोलकत्ता पश्चिम बंगाल) कोलकत्ता के टांगर क्षेत्र में काली मां का एक अनोखा मंदिर है जहां पर भक्तों को नूडल्स का प्रसाद बांटा जाता है। इसके अतिरिक्त भक्तों की मन्नतें पूरी होने पर जिंदा बकरा चढ़ावे के रूप में काली मंदिर में मां काली को भेंट किए जाते हैं।
खबीस बाबा मंदिर (संदाना उत्तर प्रदेश) यह मंदिर उत्तर प्रदेश के संदाना में स्थित है इस मंदिर में किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है यहां पर जो प्रसाद मिलता है वह अति विचित्र होता है। 150 वर्ष पहले यहां पर रहने वाले संत के सम्मान में एक ऊंचे मंच पर जूते के आकार की संरचना को शराब चढ़ाई जाती है। भक्तों को चढ़ाई जानी वाली शराब का कुछ हिस्सा प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
जय दुर्गा पीठम मंदिर (चैन्नई) तमिलनाडु की राजधानी चैन्नई में स्थित जय दुर्गा पीठम मंदिर की अपनी महत्ता है। यहां पर प्रसाद के रूप में लोगों को ब्राऊनी बर्गर, सैंडविच और चेरी टमाटर का सलाद बांटा जाता है। यह प्रसाद सुबह-शाम दोनों समय बांटा जाता है जहां हजारों की संख्या में भक्त इकट्ठे होते हैं। जय दुर्गा पीठम मंदिर में भजन-कीर्तन के पश्चात भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं।
बाल सुब्रह्ममण्यम मंदिर (अलेप्पी केरल) इस मंदिर में भगवान कृष्ण को बाल रूप में पूजा जाता है। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन चित्रों के द्वारा किया जाता है। यहां पर टॉफियां और चाकलेट का प्रसाद बांटा जाता है। यहां भक्त दूर-दूर से कृष्ण जी की बाल लीलाएं देखने के लिए आते हैं और चाकलेट का प्रसाद पाकर बड़े उत्साहित होकर घर वापिस लौटते हैं।
शेरशाह वली की मजार: फिरोजपुर शहर छावनी के मध्य शेरशाह वली की समाधि हिन्दू-सिक्खों और मुस्लिम समुदाय के लिए श्रद्धा का विषय है। हर ट्रक, बस, कार सवार सभी श्रद्धालु यहां पर मिश्री का प्रसाद चढ़ाते हैं। लेकिन हर शुक्रवार (जुमेरात) को यहां पर पीले चावल चढ़ाए जाते हैं। शुक्रवार को लोग जिन की मन्नतें पूरी होती हैं चावल को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं।
करणी माता मंदिर बीकानेर: बीकानेर में करणी माता मंदिर अपने प्रसाद के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां मंदिर में चूहे स्वतंत्र रूप से घूमते हैं इस प्रसाद पहले इन कृन्तकों को दिया जाता है फिर भक्तों में बांटा जाता है। यह प्रसाद में चूहों की लार होती है ऐसी मान्यता है इन चूहों की लार मिला प्रसाद भक्तों के लिए अच्छे दिन लेकर आता है। चूहों का जूठा प्रसाद भक्तों को धन्य कर देता है और सौभाग्य वाला होता है।
अजगर कोविल (मदुरै) तमिलनाडु में अजगर कोविल मंदिर का अपना महत्व है जो मुदरै से 20 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और प्रसाद के रूप में डोसा प्रस्तुत किया जाता है। हां ऐसा इसलिए है कि कई भक्त देवता को प्रसाद के रूप में अनाज भेंट करते हैं फिर अनाज का उपयोग प्रसाद के रूप में ताजा कुरकुरे डोसे बनाने के लिए किया जाता है। भगवान विष्णु का मंदिर बहुत भव्य है। भक्त यहां डोसे का प्रसाद ग्रहण करके धन्य हो जाते हैं।
हरिमंदिर साहिब (अमृतसर) सिखों का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है यहां सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था प्रकट करने आते हैं। सिक्खों के गुरु ने इसकी नींव का पत्थर रखा था। यहां भक्तों को देसी घी का हलवा प्रसाद के रूप में दिया जाता है। सूत्रों से पता चला है कि यहां पर शुद्ध देसी घी को ही प्रयोग में लाया जाता है अभी तक देसी घी की मिलावट को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है।
कामाख्या देवी मंदिर (गुवाहाटी असम) गुवाहटी में स्थित माता कामाख्या देवी का मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां पर प्रसाद के सामान में दिया जाने वाला कपड़ा अद्भुत अनुभव दिलाता है। माना जाता है कि इस शक्ति पीठ पर माता सती की योनि गिरी थी। माता के मासिक धर्म से जुड़ा उत्सव यहां वर्ष में एक बार जून महीने में मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां ‘अम्बूबाचीÓ मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है जबकि तीन दिन तक मंदिर के द्वार पूर्ण रूप से बंद कर दिए जाते हैं। मंदिर में भक्तों को बहुत अजीबों गरीब प्रसाद दिया जाता है। अन्य शक्तिपीठों की तुलना में कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का कपड़ा दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब मां को तीन दिन का रजस्वला आता है तो सफेद रंग का कपड़ा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है। तीन दिन के पश्चात जब मंदिर के द्वार खोले जाते हैं तब वह सफेद वस्त्र माता रानी के रंग से भीगा होता है इस कपड़े को ‘अम्बूबाचीÓ वस्त्र कहते हैं इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
महादेव मंदिर (केरल) यहां पर महादेव शिवजी को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद सभी प्रसादों से अद्भुत और विभिन्न है। यहां पर चढ़ाया जाने वाला प्रसाद खाने योग्य नहीं होता परंतु यह प्रसाद ज्ञानवर्धक सामग्री के रूप में होता है। यहां महादेव मंदिर में दिए जाने वाले प्रसाद में सूचनात्मक ब्रोशर पाठ्य पुस्तक, डीवीडी, सीडी, और लेखन सामग्री शामिल होती है। ऐसा इसलिए है कि मंदिर के ट्रस्टी मानते है कि इससे ज्ञान की वृद्धि होती है और नित नया-नया ज्ञान हासिल होता रहता है।
बांके बिहारी मंदिर वंृदावन: विश्व के सबसे प्रसिद्ध मंदिर बांके बिहारी वृंदावन में माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है और भक्तों में बांटा जाता है। विभिन्न मंदिरों में खोए के पेड़े भी प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
