टाइप 2 डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की खबर है। हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने यह दिखाया है कि सही जीवनशैली अपनाने से टाइप.2 डायबिटीज को नियंत्रित और कभी.कभी पूरी तरह से रिवर्स या ठीक भी किया जा सकता है। हाल ही में भारत से एक महत्वपूर्ण अध्ययन प्रकाशित हुआ है जिसने यह साबित किया कि लगभग एक.तिहाई मरीजों में टाइप.2 डायबिटीज से पूरी तरह सुधार संभव है। यह शोध भारत के फ्रीडम फ्रॉम डायबिटीज क्लिनिक एंड डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन में किया गया और इसे प्लोस वन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि टाइप.2 डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो भारत में तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में देश में लगभग 7.2 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित हैं। जानकारी के अनुसार इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि भारत में गहन जीवनशैली बदलाव कार्यक्रम टाइप.2 डायबिटीज के मरीजों में कितने प्रभावी हैं। अध्ययन में 2 हजार 384 वयस्क टाइप.2 डायबिटीज के मरीजों को शामिल किया गया जिन्होंने मई 2021 से अगस्त 2023 के बीच एक साल का ऑनलाइन जीवनशैली बदलाव कार्यक्रम जॉइन किया। इस कार्यक्रम में पौधों पर आधारित भोजन, संरचित शारीरिक गतिविधि, समूह थेरेपी और व्यक्तिगत मानसिक परामर्श, दवा प्रबंधन आदि शामिल था। ये सभी सेवाएं मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से छह सदस्यीय विशेषज्ञ टीम द्वारा प्रदान की गईं। शोध में कहा गया है कि इसके परिणाम बहुत ही उत्साहजनक रहे। कुल 744 प्रतिभागियों ;31.2 फीसदी की डायबिटीज में रिमीशन या सुधार हुआ। जानकारों के अनुसार कम से कम तीन महीनों तक किसी डायबिटीज दवा के बिना एचबीए1सी ;ग्लूकोज स्तर 48 मिलीमोल प्रति मोल से कम होना रीमिशन कहा जाता है। शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि शोध वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किया गया सांस्कृतिक रूप से अनुकूल और संरचित जीवनशैली कार्यक्रम टाइप.2 डायबिटीज के मरीजों में रोमिशन लाने में सक्षम है। यह भारत में इस क्षेत्र में पहला बड़ा प्रमाण है। जानिए क्या है टाइप 2 डायबिटीज भारत में टाइप 2 मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध और अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के कारण होती है। भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या विश्व में दूसरे सबसे अधिक है। मोटापा, खराब आहार, शारीरिक निष्क्रियता, तनाव और आनुवंशिक कारक इसके मुख्य कारण हैं जो भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं। दरअसल मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली अधिक वजन होना और शारीरिक गतिविधि की कमी टाइप 2 मधुमेह के सबसे आम जोखिम कारकों में से हैं। अत्यधिक वसा, चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है। आनुवंशिक प्रवृत्ति भी टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकती है। टाइप 2 मधुमेह अक्सर 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखा जाता है हालांकि यह अब युवाओं में भी बढ़ रहा है। तनाव का स्तर भी मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकता है। पुनीत उपाध्याय