राज्यों का पूंजीगत व्यय चालू वित्त वर्ष में बढ़कर करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान: क्रिसिल

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कोलकाता, 28 नवंबर (भाषा) राज्यों का पूंजीगत व्यय चालू वित्त वर्ष 2025-26 में छह प्रतिशत तक बढ़कर करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। शुक्रवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि यह पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के सात प्रतिशत से कम होगा और 11 प्रतिशत के दशकीय औसत से काफी नीचे होगा। इसका कारण बढ़ते राजस्व घाटे के कारण वित्तीय मोर्चे पर स्थिति कमजोर हो रही है।

रिपोर्ट में कहा गया कि आवास एवं शहरी विकास तथा सिंचाई सहित जल आपूर्ति और स्वच्छता, पूंजीगत व्यय के मुख्य चालक बने रहेंगे।

शीर्ष 18 राज्यों का पूंजीगत व्यय में 94 प्रतिशत योगदान होगा।

क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने, केंद्रीय करों में से राज्यों को हस्तांतरण में सुस्ती और बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि में कमी की वजह से राज्यों का राजस्व घाटा बढ़ा है।

इसमें कहा गया कि दूसरी ओर प्रतिबद्ध व्यय और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए आवंटन में तेजी के कारण राजस्व व्यय में सात से नौ प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।

क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि राजस्व व्यय में अधिक वृद्धि से राज्यों का राजस्व घाटा बढ़ेगा और पूंजीगत व्यय के लिए राजकोषीय गुंजाइश एवं उधार लेने की क्षमता कम हो जाएगी।

रिपोर्ट के अनुसार सरकारी पूंजीगत व्यय का आर्थिक उत्पादन पर अधिक गुणक प्रभाव पड़ता है। सरकारी पूंजीगत व्यय निजी निवेश को कम करता है, समग्र व्यय में वृद्धि को प्रेरित करता है और आर्थिक वृद्धि में सहायक होता है।

राज्यों द्वारा संसाधन जुटाने की सीमित क्षमता को देखते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि सामाजिक व्यय एवं पूंजीगत व्यय के बीच संतुलन बनाने की क्षमता उनके ऋण परिदृश्य के आकलन में महत्वपूर्ण कारक होगी।

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