नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कृषि वैज्ञानिकों से शोध को व्यावहारिक समाधानों पर केन्द्रित करने का आग्रह किया, जिससे किसानों को फायदा हो, आजीविका सुनिश्चित हो और पौष्टिक भोजन और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले।
छठे इंटरनेशनल एग्रोनॉमी कांग्रेस (आईएसी-2025) के अपने उद्घाटन भाषण में, चौहान ने खराब बीज की गुणवत्ता, मिलावटी आदान सामग्री, जलवायु अनुकूल समावेशन, दलहन और तिलहन उत्पादन में वृद्धि, दालों पर वायरस के हमले, मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी और सीधे बोए गए चावल की समस्याओं जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
एक सरकारी बयान के अनुसार, उन्होंने मशीनीकरण, किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट, पानी की बचत करने वाली खेती, ड्रोन प्रौद्योगिकी, स्मार्ट कृषि, एआई और मशीन लर्निंग जैसी तरक्की का पता लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया, साथ ही यह सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया कि किसानों को इन प्रौद्योगिकियों का लाभ मिले।
कृषि मंत्री ने कृषि उत्पादों के खराब न होने की समयावधि बढ़ाने सहित कार्रवाई योग्य समाधानों पर शोध केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पर्यावरण बचाने की सांस्कृतिक अहमियत, सभी जीवों का सम्मान और आने वाली पीढ़ियों के लिए रसायन उर्वरकों का इस्तेमाल कम करने की जरूरत पर भी ज़ोर दिया।
तीन दिन का यह वैश्विक कार्यक्रम किसानों की रोज़ी-रोटी और पर्यावरण की सुरक्षा को सुरक्षित रखने वाले टिकाऊ, जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली के लिए ‘एग्रोनॉमी’ को फिर से देखने पर ध्यान केन्द्रित करता है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान क्षेत्र के अगुवा लोगों की बड़ी हिस्सेदारी होगी।
इस कार्यक्रम का मकसद भारत को जलवायु-स्मार्ट और स्मार्ट कृषि खाद्य प्रणाली के क्षेत्र में अगुवा बनाना है, और जी-20, एफएओ, सीजीआईएआर और दक्षिण-दक्षिण सहयोग जैसे वैश्विक सहयोग को समर्थन करना है।
इस कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक, मांगीलाल जाट और इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोनॉमी के अध्यक्ष शांति कुमार शर्मा मौजूद थे।