तिरुवनंतपुरम, 27 नवंबर (भाषा) केरल के श्रम मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि केंद्र की श्रम संहिताएं राज्य में लागू नहीं की जाएंगी।
शिवनकुट्टी ने यहां पत्रकारों से कहा कि अधिकांश राज्यों ने श्रम संहिताओं को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं लेकिन केरल ने ऐसा नहीं किया है।
उन्होंने केंद्र द्वारा अधिसूचित श्रम संहिताओं से संबंधित मामलों पर चर्चा के लिए प्रमुख ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने पिछले महीने सभी राज्यों की बैठक बुलाई थी और वहां केरल ने स्पष्ट रूप से अपना रुख बताया था कि वह श्रम संहिताओं को लागू नहीं करेगा।
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या राज्य ने श्रम संहिताओं से जुड़े नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए केंद्र के दबाव में आकर ऐसा किया, तो उन्होंने इससे इनकार किया।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम केंद्र सरकार के दबाव में होते तो हम संहिताओं को स्वीकार करते हुए एक पत्र देते। हमने ऐसा नहीं किया है।’’
राज्य में नियमों का यह मसौदा 14 दिसंबर 2021 को अधिसूचित किया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि मसौदा नियम गुप्त रूप से तैयार नहीं किए गए थे।
मंत्री ने कहा, ‘‘यह सार्वजनिक तरीके से किया गया था और मैंने फ़ाइल में सिफारिश की थी कि इस बारे में जनता की राय ली जाए। इससे जुड़ी सभी आगे की प्रक्रियाएं रोक दी गई हैं। हमने पिछले तीन सालों में इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है। इसलिए चिंतित होने की कोई ज़रूरत नहीं है।’’
केंद्र सरकार ने हाल ही में 2020 से लंबित सभी चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है, जिससे प्रमुख सुधारों की शुरुआत हुई है। इसमें गिग श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नियुक्ति पत्र और सभी क्षेत्रों में वैधानिक न्यूनतम मजदूरी और समय पर भुगतान शामिल हैं।
शिवनकुट्टी ने बुधवार को आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार नई श्रम संहिताओं को लागू करते समय किसी भी कीमत पर मज़दूर विरोधी रुख नहीं अपनाएगी।