नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी फेमा मामले में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश नहीं हुए, जिसके बाद एजेंसी ने उन्हें 17 नवंबर के लिए नया नोटिस जारी किया।
ईडी सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने अंबानी के शुक्रवार को ‘‘डिजिटल माध्यम’’ से हाजिर होने की पेशकश को अस्वीकार कर दिया।
कारोबारी अनिल अंबानी (66) के एक प्रवक्ता द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने संघीय जांच एजेंसी को पत्र लिखकर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत की जा रही जांच में ‘‘पूर्ण सहयोग’’ का आश्वासन दिया है।
यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है।
हाल ही में धन शोधन निरोधक कानून के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद ईडी ने एक बयान में कहा था कि आर-इंफ्रा के खिलाफ (फेमा के तहत की गई) तलाशी कार्रवाई में पाया गया कि राजमार्ग परियोजना में कथित तौर पर 40 करोड़ रुपये की ‘‘हेराफेरी’’ की गई थी।
एजेंसी ने कहा था, ‘‘सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से धन दुबई पहुंचाया गया। इससे 600 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापक अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का पता चला है।’’
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कुछ कथित हवाला डीलरों सहित कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिसके बाद उन्होंने अनिल अंबानी को तलब करने का फैसला किया है।
हवाला, धन के अवैध लेन-देन को दर्शाता है, जिसमें अधिकतर नकदी शामिल होती है।
बयान में कहा गया है, ‘‘यह मामला (फेमा मामला) लगभग 15 साल पुराना है और एक सड़क ठेकेदार से जुड़ा है।’’
इसमें कहा गया है कि ‘रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ ने 2010 में जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए ईपीसी अनुबंध प्रदान किया था।
बयान के अनुसार, ‘‘यह पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था, जिसमें किसी भी तरह का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘जेआर टोल रोड पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है और 2021 से, यह पिछले चार वर्षों से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास है।’’
अनिल अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं।