एआई और रोबोटिक्स: एक सपना, चेतावनी और उनके बीच खड़ा भविष्य

0
asdffdsz

हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और रोबोटिक्स के क्षेत्र में हुए तेज़ विकास से दुनिया में कुछ लोग उत्साहित हैं तो कुछ आशंकित। कुछ को लगता है कि जल्द इंसान को काम करने की जरूरत नहीं रहेगी, सब कुछ एआई, रोबोट करेंगे। दूसरी ओर अन्य लोगों का मानना है कि अनियंत्रित एआई सबकुछ नष्ट कर देगी… लेकिन दोनों तरह की सोच अतिवादी है। दरअसल, तकनीक गति देती है, दिशा नहीं। दिशा इंसान ही तय करता है-अपनी नीतियों से, संस्थाओं और समझदारी से। अगर मानव समाज अपनी तैयारी मजबूत करता है तो आने वाला समय सबसे उत्पादक और मानवीय संवेदनाओं से भरा दौर साबित हो सकता है। लेकिन अगर सुरक्षा तंत्र कमजोर रहा तो वही तकनीक सबसे बड़ा खतरा भी बन सकती है।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई और रोबोटिक्स के क्षेत्र में अपूर्व विकास को लेकर हाल ही में एक ओर एलन मस्क का दावा सामने आया है तो दूसरी तरफ ओपन एआई की चेतावनी आई है। एलन मस्क का दावा है कि जल्दी ही इंसान को कमाने की जरूरत नहीं रहेगी, सब काम रोबोट करेंगे। दूसरी तरफ ओपन एआई की चेतावनी है कि सुपरइंटेलीजेंस नियंत्रण से बाहर गई तो नुकसान असीम होगा।

मस्क का मानना है कि 2030 तक लाखों की संख्या में ह्यूमनॉइड रोबोट उद्योगों में काम करते दिखेंगे। इससे 24×7 काम, कई गुना प्रोडक्टिविटी और हर नागरिक के लिए यूनिवर्सल हाई इनकम जनरेट होगी। एआई जब फिजिकल लेबर में बदलेगा, तब इंसान की भूमिका मूल रूप से रचनात्मक और वैकल्पिक रह जाएगी।

लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इतिहास गवाह है—हर ऑटोमेशन क्रांति ने असमानता बढ़ाई है। इससे मशीनों के मालिक, कंपनियां और भी अमीर होती हैं, जबकि श्रमिकों की भूमिका घटती जाती है।  इससे आय के आसमान वितरण की खाई बहुत अधिक बढ़ जाएगी।  

जब मशीनें खुद सोचने लगेंगी

ओपन एआई का संदेश भावनात्मक नहीं, रणनीतिक है। दरअसल, ह्यूमनॉइड रोबोट तभी उपयोगी होंगे जब उन्हें चलाने वाली एआई अत्यधिक बुद्धिमान होगी और वही सुपरइंटेलिजेंस अगर नियंत्रण से बाहर हुई, तो वही रोबोट खतरा बन जाएंगे। यानी मस्क का सपना और ओपनएआई की चेतावनी, दोनों एक ही हाईवे के दो अलग साइनबोर्ड हैं -एक विकास की दिशा दिखाता है, दूसरा खतरे की चेतावनी देता है।  

खतरा यह कि नियंत्रण तंत्र कमजोर हुआ तो एआई खुद लक्ष्य चुन सकती है। ऐसे में साइबर और बायो-रिस्क नए रूप ले सकते हैं। इसलिए यह सिर्फ एआई तेज हो रही है, वाली कहानी नहीं, यह एआई इंसानी ढांचे को पार करने वाली चेतावनी है।

मस्क बनाम ओपन एआई?

ह्यूमनॉइड रोबोट तभी उपयोगी होंगे जब उन्हें चलाने वाली एआई अत्यधिक बुद्धिमान होगी और वही सुपरइंटेलिजेंस अगर नियंत्रण से बाहर हुई, तो वही रोबोट खतरा बन जाएंगे। यानी मस्क का सपना और ओपनएआई की चेतावनी, दोनों एक ही हाईवे के दो अलग साइनबोर्ड हैं। इनमें एक विकास की दिशा दिखाता है, दूसरा खतरे की चेतावनी देता है।

चार संभावित दिशाएं, जिस ओर भविष्य की दुनिया मुड़ सकती है

1. रोबोटिक समृद्धि का मॉडल: उत्पादन में उछाल, शिक्षा-स्वास्थ्य में क्रांति और हर नागरिक के लिए सुरक्षित आय।
2. असमानता का अतिवादी मॉडल: कुछ कंपनियों के पास सारा नियंत्रण, समाज में गहरी आर्थिक खाई और निराशा।
3. अनियंत्रित सुपरइंटेलिजेंस: ऐसी मशीनें जो इंसान की समझ से परे फैसले लें और नियंत्रण खत्म हो जाए।
4. संतुलित सह-अस्तित्व: सख्त नियम, पारदर्शी एल्गोरिद्म और ग्लोबल निगरानी से नियंत्रित तकनीकी विकास।

भविष्य कौन-सा रास्ता चुनता है, यह हमारी नीतियों, राजनीति और सामाजिक तैयारी पर निर्भर करेगा। बहरहाल, समाज के ढांचे में बदलाव तय है। घरों में बुजुर्गों से लेकर बच्चों की देखभाल तक में रोबोट मुख्य भूमिका निभाएंगे। हर बच्चे को उसके अनुकूल शिक्षा मिलेगी। स्कूलों में एक ही क्लासरूम में 40 बच्चे होंगे, पर 40 अलग-अलग पाठ्यक्रम चलेंगे। रूटीन जॉब्स खत्म होंगे लेकिन ‘ह्यूमन-लेयर’ वाली नौकरियां उभरेंगी—क्यूरेटर, फैसिलिटेटर, क्रिएटर।

अर्थव्यवस्था में टैक्स मॉडल बदलेगा। जैसे-रोबोट टैक्स लगेगा, नई वेलफेयर योजनाएं आएंगी। साथ ही दुनिया को अगले दशक में ग्लोबल एआई रेगुलेशन, एल्गोरिदम पारदर्शिता, साइबर सुरक्षा के नए मानक और एआई गलती से निपटने की जरूरत होगी।

दिशा इंसान तय करेगा, तकनीक नहीं

तकनीक का भविष्य न तो पूरी तरह सपना है, न पूरा खतरा। यह इंसान की समझदारी, संवेदना और दूरदर्शिता की परीक्षा है। अगर हमने सही दिशा तय की, तो आने वाला दशक इंसान और तकनीक के सह-अस्तित्व का सबसे सुंदर युग बन सकता है वरना वही तकनीक, जो आज हमारी मददगार है, कल हमारी सबसे बड़ी चुनौती भी बन सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *