इस्लामाबाद, आठ नवंबर (भाषा) पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच शांति वार्ता ‘‘सीमा पार आतंकवाद’’ के जटिल मुद्दों से निपटने के लिए किसी समझौते के बिना समाप्त हो गई। शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक दोनों पक्षों में गतिरोध बरकरार रहा।
तीसरे दौर की वार्ता बृहस्पतिवार को शुरू हुई और दो दिनों तक जारी रही, लेकिन इसमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए काबुल से लिखित प्रतिबद्धता प्राप्त करने में सफलता नहीं मिली। इन उग्रवादियों पर अफगान धरती का उपयोग करके पाकिस्तान के खिलाफ हमला करने का आरोप है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार रात एक निजी टीवी चैनल को बताया कि वार्ता स्थगित कर दी गई है और “चौथे दौर की वार्ता का कोई कार्यक्रम नहीं है।”
‘जियो टीवी’ की खबर के अनुसार, उन्होंने कहा, “पूर्ण गतिरोध है। वार्ता अनिश्चितकालीन दौर में प्रवेश कर गई है।”
मंत्री ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए तुर्किये और कतर के “ईमानदार प्रयासों” के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, “वे हमारे रुख का समर्थन करते हैं। यहां तक कि अफगान प्रतिनिधिमंडल भी हमसे सहमत था; हालांकि, वे लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं थे।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान केवल औपचारिक, लिखित समझौते को ही स्वीकार करेगा।
उन्होंने कहा, “वे चाहते थे कि मौखिक आश्वासन स्वीकार किया जाए, जो अंतरराष्ट्रीय वार्ता में संभव नहीं है।”
आसिफ ने कहा कि मध्यस्थों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, लेकिन आखिरकार उम्मीद छोड़ दी।
उन्होंने कहा, “अगर उनमें थोड़ी भी आशा होती, तो वे हमें रुकने के लिए कहते। हमारा खाली हाथ लौटना दिखाता है कि उन्होंने भी काबुल से उम्मीद छोड़ दी है।”
मंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान का रुख दृढ़ और स्पष्ट है।
उन्होंने कहा, “हमारी एकमात्र मांग यह है कि अफगानिस्तान यह सुनिश्चित करे कि उसकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमलों के लिए न हो।”
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उकसाया गया तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा।
उन्होंने कहा, “यदि अफगान धरती से कोई हमला होता है तो हम उसका जवाब देंगे।” उन्होंने कहा कि जब तक कोई आक्रमण नहीं होगा, युद्धविराम बरकरार रहेगा।
वहीं, सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने शनिवार सुबह कहा कि आतंकवाद पर नियंत्रण के संबंध में अपने दीर्घकालिक अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी अफगान तालिबान पर है, जिसमें वे अब तक विफल रहे हैं।
तरार ने कहा, “पाकिस्तान अफगान लोगों के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं रखता। हालांकि, वह अफगान तालिबान शासन के किसी भी ऐसे कदम का समर्थन कभी नहीं करेगा जो अफगान लोगों और पड़ोसी देशों के हितों के लिए हानिकारक हो।”
यह वार्ता 29 अक्टूबर को दोहा में शुरू हुई थी, जिसमें कतर और तुर्किये ने 11 से 15 अक्टूबर के बीच सशस्त्र झड़पों के बाद दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की थी।
पहला दौर बिना किसी ठोस प्रगति के समाप्त हो गया लेकिन दोनों पक्ष 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में एक और दौर की वार्ता के लिए सहमत हुए। वह भी बेनतीजा रही। तीसरे और नवीनतम दौर का भी यही हश्र हुआ।
