नयी दिल्ली, दो नवंबर (भाषा) भारत को शुरू से ही सुगम्यता को अपने बुनियादी ढांचे में शामिल करना चाहिए, क्योंकि इससे 1,000 अरब डॉलर तक के आर्थिक अवसर खुल सकते हैं। सुगम्यता को बढ़ावा देने वाले संगठन ‘स्वयं’ की संस्थापक और जिंदल सॉ लिमिटेड की प्रबंध निदेशक स्मिनु जिंदल ने यह बात कही।
हाल में इंडिगो की एक उड़ान में अपनी व्हीलचेयर के क्षतिग्रस्त होने के बाद जिंदल ने कहा कि एयरलाइन कर्मचारियों के लिए अनिवार्य रूप से मासिक प्रशिक्षण होना चाहिए और सहायक उपकरणों के गलत इस्तेमाल पर कठोर आर्थिक दंड लगाना चाहिए।
जिंदल ने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में बताया, ‘‘व्हीलचेयर लगभग शरीर के विस्तार की तरह है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी व्यक्ति के लिए विशेष रूप से बनाई गई व्हीलचेयर को फिर से बनाने में लगभग एक साल लगता है। कोई भी मुआवजा इसकी भरपाई नहीं कर सकता।’’
उन्होंने कहा कि विमानन उद्योग में नौकरी छोड़ने की अधिक दर के कारण बार-बार प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, और आर्थिक दंड ‘‘एकमात्र ऐसी चीज है, जो हम सभी को बहुत नुकसान पहुंचाती है।’’
भारत 2030 के राष्ट्रमंडल खेलों और 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी पाने के लिए दावा कर रहा है, और ऐसे में जिंदल ने तर्क दिया कि सुगम्यता को एकदम शुरुआती चरण से ही शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया, ‘‘जब दुनिया भर से लोग भारत आते हैं, तो वे देश को थोड़ा और देखना चाहते हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘जब परिवहन सुलभ होगा, जब होटल और पूरा ढांचा सुलभ होगा, तो भारत के पास विदेशी मुद्रा अर्जित करने का यह शानदार अवसर होगा।’’
‘स्वयं’ ने संयुक्त राष्ट्र भारत और यूनेस्को के साथ सहयोग ने इस साल दिल्ली में पंडारा रोड दुर्गा पूजा को पूरी तरह से समावेशी बनाया। जिंदल को उम्मीद है कि यह सामूहिक समारोहों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बन जाएगा।
जिंदल ने कहा कि सुगम्यता केवल विकलांग व्यक्तियों के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि इसे गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग नागरिकों और अस्थायी या स्थायी रूप से कम गतिशीलता लोगों को राहत मिलती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को शायद अस्थायी या स्थायी रूप से कम गतिशीलता के दौर से गुजरना पड़ता है। यही वह जगह है, जहां सुगम्यता की भूमिका आती है।’’
उन्होंने सिर्फ प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को नकारते हुए जोर दिया कि भौतिक बुनियादी ढांचा सर्वोपरि है, खासकर ग्रामीण भारत के लिए, जहां 70 प्रतिशत आबादी रहती है।