‘मनुस्मृति’ के नाम पर मौलिक अधिकारों का हनन करने वालों को दंडित किया जाना चाहिए: खरगे

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बेंगलुरु, आठ अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की हालिया घटना की निंदा करते हुए बुधवार को कहा कि ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए, जो ‘मनुस्मृति’ और सनातन धर्म के नाम पर लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं।

उन्होंने यह दावा भी किया कि केंद्र की वर्तमान सरकार में चाहे कोई आम दलित हो या फिर किसी बड़े पद पर आसीन दलित, उसका कोई सम्मान नहीं है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने इस बात पर भी दुख जताया कि ‘‘इस घटना की देश में सार्वजनिक रूप से व्यापक स्तर पर निंदा नहीं हुई।’’

बीते सोमवार को सर्वोच्च अदालत की कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने प्रधान न्यायाधीश गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की। अदालत कक्ष के अंदर मौजूद सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और हमले को रोका। जब राकेश किशोर को अदालत परिसर से बाहर ले जाया जा रहा था, तो वकील को चिल्लाते हुए सुना गया, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।”

खरगे ने यहां संवाददाताओं से कहा, “वकील होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने धर्म का नाम लेकर भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया। मैंने व्यक्तिगत रूप से और पार्टी की ओर से भी इसकी निंदा की है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भी इसकी निंदा की है। हमारे प्रधानमंत्री ने भी इसकी निंदा की है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह उन वकीलों की सराहना करते हैं जिन्होंने मौलिक अधिकारों और संविधान की बात की।

उनका कहना था, ‘‘जो लोग मनुस्मृति और सनातन धर्म के नाम पर लोगों के बुनियादी हकों का हनन कर रहे हैं, ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। जो लोग समाज में अनावश्यक तनाव फैलाने और शांति भंग करने का प्रयास करते हैं, उन्हें दंडित जाना चाहिए और जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, “मुझे दुख है कि इस घटना के बाद वकीलों, सरकारों, राजनीतिक दलों और जनता की ओर से जो प्रतिक्रिया आई, वह व्यापक स्तर पर नहीं थी, लेकिन कुछ प्रगतिशील राज्यों, प्रगतिशील सोच वाले अधिवक्ताओं और राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसकी निंदा की है।”

खरगे ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में वाल्मीकि समुदाय के एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या की भी निंदा की और कहा कि यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था किस हद तक बिगड़ चुकी है।

न्यायमूर्ति गवई के अपमान और रायबरेली की घटना का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि ‘‘दलित व्यक्ति, चाहे वह एक सामान्य व्यक्ति हो या कोई उच्च पद पर बैठा व्यक्ति, इस सरकार में उसका कोई सम्मान नहीं है।”

उनका कहना था, ‘‘हमें चुप रहने के बजाय लड़ना होगा। अगर प्रधान न्यायाधीश के पद पर बैठे व्यक्ति पर जूता फेंककर उसका अपमान किया जाता है, तो एक आम आदमी या किसी अधिकारी या क्लर्क की क्या स्थिति होगी?’’

खरगे ने न्यायमूर्ति गवई से जुड़ी घटना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मैं इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करना चाहता। लेकिन समाज में एक खास तरह की मानसिकता कुछ संगठनों द्वारा बनाई जा रही है। मैं उन संगठनों की निंदा करता हूं जो ऐसी मानसिकता बना रहे हैं और ऐसी विचारधारा फैला रहे हैं…किसी को भी किसी का अपमान करके समाज में आग नहीं भड़कानी चाहिए।”

उन्होंने आरोपी वकील की विचारधारा को लेकर चिंता जताई और कहा, ‘‘78 साल की आजादी के बावजूद ऐसी मानसिकता है…।’’

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