नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह राज्यपाल आर एन रवि द्वारा तमिलनाडु शारीरिक शिक्षा एवं खेल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी देने के बजाय उसे राष्ट्रपति के पास भेजने के उनके फैसले को चुनौती देने वाली उसकी याचिका पर निर्णय के लिए राष्ट्रपति के संदर्भ पर आने वाले फैसले का इंतजार करे।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर संविधान पीठ के फैसले के बाद मामले की सुनवाई की जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘‘आपको राष्ट्रपति के संदर्भ के नतीजे का इंतजार करना होगा। आपको मुश्किल से चार सप्ताह इंतजार करना होगा। संदर्भ पर 21 नवंबर (सीजेआई गवई की सेवानिवृत्ति) से पहले निर्णय लिया जाना है।’’
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति संदर्भ पर 11 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। राष्ट्रपति संदर्भ में पूछा गया था कि क्या एक संवैधानिक अदालत राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित कर सकती है।
तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में कहा है कि विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजने का राज्यपाल का कृत्य ‘‘स्पष्ट रूप से असंवैधानिक, संविधान के अनुच्छेद 163(1) और 200 का उल्लंघन है तथा प्रारम्भ से ही अमान्य है।’’
याचिका के अनुसार, विधेयक को छह मई 2025 को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। साथ ही मुख्यमंत्री की सलाह भी थी कि इसे मंजूरी दी जाए। हालांकि, 14 जुलाई को राज्यपाल ने यूजीसी विनियम, 2018 के खंड 7.3 के साथ कथित टकराव का हवाला देते हुए विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दिया, जिस पर राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम उनके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र के बाहर है।