मछलियों की दुनियां

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प्रतीक के घर उसके नानाजी आए थे। दोनों बैठे टीवी देख रहे थे। टीवी पर मछलियों के बारे में बताया जा रहा था।
तभी नानाजी ने प्रतीक से पूछा, ‘बेटा, क्या तुम जानते हो, मछलियां भी उड़ती हैं?‘  
प्रतीक ने जैसे ही उड़ने वाली मछलियों के बारे में सुना, वह इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए बेचैन हो उठा।
उसने नानाजी से पूछा, ‘नानाजी, क्या सचमुच मछलियां भी उड़ती हैं?‘
नानाजी मुस्कुराते हुए बोले, ‘हां प्रतीक बेटे, यह सच है कि कुछ मछलियां भी उड़ती हैं। इतना ही नहीं, कुछ मछलियां घोंसला भी बनाती हैं।‘
‘जल्दी बताइए नानाजी कि मछलियां कैसे उड़ती हैं? कौन सी मछलियां ऐसी हैं जो घोंसला बनाती हैं?‘ प्रतीक हैरान हो कर बोला।
नानाजी विज्ञान के प्रोफेसर रह चुके थे। अब वह रिटायर हो गए थे। जीव-जंतुओं के बारे मंे उन्हें खूब जानकारी थी।
नानाजी ने कहा, ‘मछलियों की एक अलग ही दुनियां है। संसार में सैंकड़ों तरह की मछलियां पाई जाती हैं। वे अपनी सुंदरता और विचित्राता के चलते मनुष्यों को सदा ही अपनी ओर खींचती रही हैं। आज मैं तुम्हें उड़ने वाली और घोंसला बनाने वाली मछलियों के साथ-साथ कई दूसरी विचित्र मछलियों के बारे में भी बताऊंगा।‘
प्रतीक बहुत खुश हुआ। वह टीवी बंद कर बड़ी उत्सुकता से नानाजी की ओर देखने लगा।
नानाजी ने बताना शुरू किया, ‘इक्सोसीडिटी परिवार की मछलियों के पंख होते हैं। ये पानी की सतह के ऊपर आराम से हवा में तैरती हैं।‘
‘नानाजी, ये मछलियां हवा में क्यों तैरती हैं?‘ प्रतीक ने पूछा।
नानाजी ने उससे पूछा, ‘बेटे, तुम डाल्फिन मछली के बारे में तो जानते ही होगे।‘
‘जी हां, नानाजी।‘ प्रतीक ने कहा।
नानाजी बोले, ‘डाल्फिन इक्सोसीटिडी परिवार की इन मछलियों को बड़े चाव से खाती हैं। जब-जब इन्हें डाल्फिनों के हमले का अंदेशा होता है, ये उनके डर से पानी से ऊपर हवा में उड़ने लगती हैं। इन मछलियों को उड़ते हुए देखना बड़ा ही सुंदर लगता है।‘
‘अब घोंसला बनाने वाली मछलियों के बारे में भी कुछ बताइए, नानाजी।‘ प्रतीक ने कहा।
नानाजी ने समझाया, ‘दुनियां के सभी जीव-जंतु अपने बच्चों की रक्षा और देखभाल करते हैं। जैसे सामन, स्टिकिल बैक, मडफिश, लंग फिश आदि मछलियां गड्ढों में घोंसले बना कर अपने बच्चों को उनमें रखती हैं। बेट्टा नाम की मछली तो फोम का घोंसला बनाती है।‘
‘फोम का घोंसला?‘ प्रतीक की आंखें आश्चर्य से फैल गईं।
नानाजी ने हंस कर बताया, ‘हां बेटा, यह एक्वेरियम मछली है। नर बेट्टा मुंह से हवा के बुलबुले निकालता है। फिर उन बुलबुलों को अपने मुंह से निकली लार से जोड़ता है। इस तरह वह एक कोन के आकार का घोंसला तैयार करता है। नर बेट्टा अंडों को मुंह में भर कर घोंसले के तल से चिपका देता है। फिर नर और मादा दोनों मिल कर अंडों की देखभाल करते हैं।‘
इतनी अच्छी आश्चर्य जानकारी पा कर प्रतीक की खुशी का ठिकाना नहीं था। वह बोला, ‘नानाजी, मछलियों की दुनियां भी कम अनोखी नहीं है। क्या और भी ऐसी मछलियां हैं जो अपने अनोखेपन के लिए मशहूर हैं?‘
नानाजी ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘हां, लालटेन मछलियां जिन्हें प्रकाश वाली मछली के नाम से जाना जाता है, अपने अनोखेपन के लिए मशहूर हैं।‘
‘क्या ये मछलियां सचमुच रोशनी देती हैं।‘ प्रतीक ने पूछा।
नानाजी बोले, ‘हां, मिक्टोफिड, एंगलर, बेचिस्फियर, हैचेट आदि मछलियों के शरीर से रोशनी निकलती है। मिक्टोफिड मछली के पेट के ऊपर और शरीर के दोनों तरफ रोशनी छोड़ने वाले अंग होते हैं। मादा एंगलर मछली के सिर पर बल्बनुमा प्रकाश अंग होता है। बेचिस्फियर मछली के शरीर से नीले रंग की बड़ी सुंदर रोशनी निकलती है। हैचेट मछली की तो बात ही कुछ और है, इसका तो पूरा शरीर प्रकाश देता है।‘
नानाजी की बातें सुन कर प्रतीक बोला, ‘वाह नानाजी, आज आपने मछलियों की दुनियां के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी। आपके पास तो सारी विचित्र मछलियों का रिकार्ड है।‘
नानाजी मुस्कुराते हुए बोले, ‘हां बेटा, यह दुनियां रंग-बिरंगें जीव-जंतुओं की अजब-गजब दुनियां है।‘ 
 

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