क्यों है जरूरी पैप स्मीयर टेस्ट

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यूटरस कैंसर का पता लगाने के लिए सबसे पहले किया जाता है पैप स्मीयर टेस्ट। केबल कैंसर की जानकारी नहीं देता यह टेस्ट। इस टेस्ट से यूटरस की हैल्थ स्टेज का भी पता चलता है। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को तीन साल में एक बार यह टेस्ट करवाना चाहिए। अगर सेल्स में किसी तरह का बदलाव हो तो डॉक्टर के परामर्श अनुसार इस टेस्ट को जल्दी रिपीट किया जा सकता है।
अक्सर महिलाएं बिना किसी तकलीफ के कम ही डॉक्टर के पास जाती हैं। और टेस्ट तो बिना डॉक्टर की सलाह के वो सोचती भी नहीं चाहे वे कितनी पढ़ी लिखी हों लेकिन पैप स्मीयर टेस्ट यूटरस कैंसर से बचने का सही तरीका है।
जरूरी है पैप स्मीयर टेस्ट:- पैप स्मीयर टेस्ट इसलिए जरूरी है ताकि यूटरस कैंसर का समय रहते पता चल जाए और इलाज हो सके। शोध कर्ताओं के अनुसार पिछले पांच सात सालों में यूटरस कैंसर के रोगियों में छह से सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मरने वालों की संख्या भी इस कैंसर से काफी है। कारण महिलाओं और परिवार के सदस्यों में जागरूकता की कमी होना है।
पैप स्मीयर टेस्ट में यूटरस से कुछ सेल्स लेकर टेस्ट किया जाता है फिर माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है कहीं सेल्स कैंसर ग्रस्त तो नहीं है, हैल्दी सेल्स हैं या नहीं। अगर सेल्स कैंसर ग्रस्त हैं तो उनकी स्टेज कौन सी है। वैसे टेस्ट से पहले शरीर में आए बदलावों से भी पता चल जाता है।
यूटरस की आउटर लेअर पर धीरे से गोल-स्पेटुला घुमाकर और धीरे से घिसने के बाद जमा हुए सेल्स की जांच की जाती है। माइक्रोस्कोप से यह चेक किया जाता है कि कहीं इन सेल्स में कुछ गड़बड़ सेल्स तो नहीं है और नये सेल्स नॉर्मल स्पीड में बन रहे हैं या नहीं।
30 साल की आयु के बाद महिलाओं को यह टेस्ट करवाना जरूरी होता है ऐसा कहना है स्त्राी रोग विशेषज्ञा का। इनके अतिरिक्त उन महिलाओं को यह टेस्ट करवाना और आवश्यक होता है जो सेक्सुअली एक्टिव होती हैं। उन्हें तीन साल में यह टेस्ट रिपीट करवाना चाहिए। अगर उसमें कुछ परिवर्तन हों तो टेस्ट रिपीट जल्दी करवाना पड़ सकता है डॉक्टर के परामर्श अनुसार। कई बार इस समस्या की जानकारी तब होती है जब बहुत देर हो चुकी होती
हैं।
लक्षण यूटरस कैंसर के:-
. शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना
. भूख कम लगना।
. वजन घटना।
. कमर दर्द रहना।
. एक पांव में सूजन।
. यूटरस से यूरिन का स्राव होते रहना।
. यूटरस के नीचे एक दाने का बनना।
. शारीरिक संबंधों के दौरान उस दाने से थोड़ा रक्तस्राव होना।
ध्यान रखें:-
. पीरियड के दौरान इस टेस्ट को नहीं करवाना चाहिए। एक सप्ताह बाद टेस्ट करवाना चाहिए।
. टेस्ट करवाने से 24 घंटे पहले तक पति के साथ शारीरिक संबंध न बनाना। इस टेस्ट से पहले वेजाइना में किसी भी क्रीम का उपयोग नहीं करना चाहिए।
. अगर परिवार में पहले किसी को यूटरस कैंसर की शिकायत रही हो तो 40 वर्ष की आयु के बाद साल में एक बार जांच अवश्य करवाएं और 50 वर्ष के बाद साल में दो बार।
. सही समय टेस्ट का तब होता है जब ओवल्यूटरी पीरियड हो। उस समय एस्ट्रोजन और प्रॉजेस्ट्रॉन हार्मोन्स के कारण सर्विक्स बहुत सॉफ्ट होती है।