हम गलतियां क्यों करते हैँ – इनसे कैसे बचें!

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“गलती हो गयी ” – “सोरी “. क्या इससे गलती सुधर जाती है! या यह दूसरे के अहम का तुष्टिकरण है. अब सवाल उठता है कि हम अपने जीवन में कितनी गलतियां करते हैँ? क्या हम गलतियों को दोहराते नहीं या फिर से वैसी गलतियां दोबारा करते हैँ. इनसे कैसे बचा जाये.

 

हम गलतियाँ इसलिए करते हैं क्योंकि भावनाएँ हावी हो जाती हैं. अति आत्मविश्वास, अनुभव की कमी, तनाव या ध्यान भटकने जैसे कारक हमें सही निर्णय लेने से रोकते हैं. हमारा मस्तिष्क भी अक्सर शॉर्टकट या “टेम्पलेट” का उपयोग करता है जिन्हें ह्यूरिस्टिक्स कहते हैं, जो हमें कुछ गलतियों को बार-बार करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ये गलतियाँ सीखना, अनुकूलन और अंततः बेहतर बनने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं.

 

गुस्सा, डर, लालच या अहंकार जैसी भावनाएँ हमें सही निर्णय लेने से रोक सकती हैं. हमारा दिमाग जानकारी को संसाधित करने के लिए शॉर्टकट (ह्यूरिस्टिक्स) का उपयोग करता है, जो कभी-कभी गलतियों का कारण बनते हैं.

 

जब हम सोचते हैं कि हम पहले से सब जानते हैं, तो हम गलतियाँ कर सकते हैं.

बाहरी दबाव या प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमें गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर कर सकती हैं.

बुरी आदतें छोड़ना मुश्किल हो सकता है और पर्याप्त अनुभव न होने के कारण हम गलतियाँ दोहरा सकते हैं.

 

हमारी अपनी धारणाएँ और पूर्वाग्रह हमें सही जानकारी को नजरअंदाज करने और गलतियाँ करने के लिए प्रवृत्त कर सकते हैं.

 

निश्चित संख्या में गलतियों को नहीं गिना जा सकता है क्योंकि हर व्यक्ति का जीवन और अनुभव अलग होता है, लेकिन सामान्यतः लोग अपने जीवन में कई गलतियां करते हैं, जैसे स्वास्थ्य की अनदेखी, खराब समय प्रबंधन, अवास्तविक इच्छाएँ, दूसरों से तुलना करना, और अपनी भावनाओं को दबाना. गलतियाँ सीखने और विकास के अवसर भी हैं, जिन्हें अनुभव और आत्म-जागरूकता से कम किया जा सकता है.

 

कुछ सामान्य गलतियाँ:

 

निरंतर सीखने की कमी: नए कौशल और ज्ञान प्राप्त करने में रुचि न रखना.

खराब समय प्रबंधन: समय का सही उपयोग न करना और महत्वपूर्ण कार्यों को टालना.

स्वास्थ्य की अनदेखी: अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत पर ध्यान न देना.

वित्तीय अनुशासन की कमी: खर्चों का सही प्रबंधन न करना और निवेश को नजरअंदाज करना.

संवाद की कमी: रिश्तों में खुलकर बात न करना और गलतफहमियों को दूर न करना.

खुद से प्यार न करना: आत्म-सम्मान की कमी और अपनी तुलना दूसरों से करना.

अधिक सोचना :

 बहुत अधिक सोचने के कारण अंदर से परेशान होना.

अवास्तविक इच्छाएं: अपनी सामर्थ्य से अधिक बड़ी-बड़ी इच्छाएँ पालना।

डर और अनिर्णय: असफलता के डर से निर्णय न लेना और नए अवसरों को खो देना.

जिम्मेदारी से भागना: अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों पर डालना.

 

एक शोध के अनुसार इंसान हर घंटे तीन से छह गलतियाँ करते हैं, चाहे कोई भी गतिविधि हो या काम, और औसतन, एक दिन में 500 गलतियाँ करते हैं.

 

ज्ञानात्मक गलती – यह गलती तब होती है जब हमें किसी विषय के बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं होता है या हमें गलत जानकारी मिलती है.  व्यावहारिक गलती – यह गलती तब होती है जब हम किसी कार्य को करने में असफल होते हैं या हमें किसी कार्य को करने का तरीका नहीं पता होता है.

 

एक इंसान दिन भर में औसतन 30 से 50 गलतियाँ करता है, और यह संख्या गतिविधि या व्यक्ति के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है. हम जानबूझकर या अनजाने में गलतियाँ करते हैं क्योंकि हम स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण हैं, तनाव में होते हैं, या कभी-कभी सीखते हैं. गलतियों का होना सामान्य है, और इनसे सीखना और आगे बढ़ना ही महत्वपूर्ण है.  

गलतियों का औसतन समय:

प्रति घंटा: आप औसतन 3 से 6 गलतियाँ कर सकते हैं.

प्रतिदिन: हर दिन लगभग 30 से 50 गलतियाँ हो सकती हैं.

हम गलतियाँ क्यों करते हैं?

शारीरिक और मानसिक स्थितियाँ: हम अपनी जैविक, शारीरिक और मानसिक विशेषताओं के कारण स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण हैं.

भावनात्मक और बाहरी प्रभाव: तनाव, दबाव, या ध्यान भटकने जैसी चीजें भी खराब प्रदर्शन का कारण बन सकती हैं.

अनजाने में: हम कई गलतियाँ अनजाने में करते हैं, जैसे कोई काम करना भूल जाना.

 

गलतियां आमतौर पर “भूलवश” होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे जानबूझकर नहीं की जातीं, बल्कि किसी असावधानी, अज्ञानता, या मानवीय स्वभाव के कारण होती हैं. हालांकि, यदि कोई व्यक्ति अपनी गलती को बार-बार दोहराता है, तो वह “स्वभाविक” बन सकती है, या फिर जानबूझकर गलत काम करना “गलत” कहलाता है, जो नियत से जुड़ा होता है.

भूलवश गलतियाँ अक्सर गलत धारणा या असावधानी के कारण होती हैं, और इनमें मूर्खता या अज्ञानता का पुट हो सकता है.

उदाहरण: किसी काम को करते समय गलती से गलत बटन दबा देना, किसी चीज़ की सही मात्रा न जानना, या किसी को गलत नाम से पुकार देना.

ऐसी गलतियों को स्वीकार करना और उनसे सीखना महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में उन्हें दोबारा न दोहराया जाए.

स्वाभाविक गलतियाँ –

यह शब्द उन गलतियों को भी संदर्भित कर सकता है जो मानवीय स्वभाव का हिस्सा हैं, जैसे कि हर कोई गलतियाँ करता है.

जब आप अपनी किसी गलती से कोई सबक नहीं सीखते, तो वह गलती बार-बार दोहराई जा सकती है और एक तरह से स्वाभाविक आदत बन सकती है.

जानबूझकर की गई गलतियाँ –

“गलत” या “गलत नीयत” से किया गया कार्य जानबूझकर किया जाता है. यह भूलवश नहीं होता, बल्कि गलत इरादों के कारण होता है.

यह गलती एक इरादे या नीयत का परिणाम होती है, और यह किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से की जाती है.

 

गलतियां सबसे होती हैं, क्योंकि मनुष्य स्वभाव से परिपूर्ण नहीं होता. गलतियाँ सीखने की प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं और इनसे हमें अनुभव मिलता है. अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उनसे सीखना ही आगे बढ़ने और बेहतर बनने का सबसे सही तरीका है.

गलतियाँ क्यों होती हैं?

गलतियाँ होने के कई कारण हो सकते हैं:

भावनात्मक प्रभाव: गुस्सा, डर, लालच या अहंकार में गलत फैसले लेना.

आदतें: पुरानी गलत आदतों को छोड़ पाना मुश्किल होता है.

अति आत्मविश्वास: खुद को बहुत ज़्यादा जानकार समझना और गलत निर्णय लेना.

लापरवाही या टालमटोल: सही काम न करना और बाद में पछतावा होना।

दबाव या परिस्थितियाँ: सामाजिक दबाव या मजबूरी में गलत चुनाव करना.

अनुभव की कमी: ज्ञान को सही समय पर लागू न कर पाना.

गलतियों से कैसे सीखें?

स्वीकार करें: अपनी गलती स्वीकार करना पहला कदम है.

पहचानें: गलती के कारण को समझें और उससे सीखें.

बार-बार दोहराएँ नहीं: गलती से सीख लें ताकि उसे दोबारा न दोहराएँ.

सुधार करें: अपनी गलतियों में सुधार करने का प्रयास करें.

खुद को माफ़ करें: हर बार गलती पर पछताने से अच्छा है कि आप खुद को माफ़ करके आगे बढ़ें.

संक्षेप में, गलतियाँ जीवन का हिस्सा हैं, इनसे डरने की बजाय उनसे सीखना ही बुद्धिमानी है.

 

 

चंद्र मोहन

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