डब्ल्यूएचओ ने भारत में खराब गुणवत्ता वाले कफ सिरप के खिलाफ चेतावनी जारी की
Focus News 14 October 2025 0
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में पाए गए ‘‘खराब गुणवत्ता’’ वाले खांसी के तीन सिरप – कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ के खिलाफ चेतावनी जारी की है। संगठन ने विश्वभर के राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों से कहा है कि यदि ये सिरप उनके देश में पाए जाएं, तो तुरंत डब्ल्यूएचओ को इसकी सूचना दें।
डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य पेशेवरों को भी सलाह दी है कि वे इन खराब गुणवत्ता की दवाओं का पता लगने तथा प्रतिकूल प्रभाव की किसी भी घटना की सूचना अपने राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों या ‘नेशनल फार्माकोविजिलेंस सेंटर’ को दें।
यह अलर्ट उस समय जारी किया गया है जब मध्य प्रदेश में कम से कम 22 बच्चों की कोल्ड्रिफ सिरप पीने के बाद संदिग्ध रूप से किडनी खराब होने के कारण मौत हो चुकी है। इसके अलावा राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत खांसी का सिरप पीने के बाद हुई है।
डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि इन घटिया उत्पादों से प्रभावित देशों और क्षेत्रों में आपूर्ति शृंखला पर निगरानी बढ़ाई जाए।
सोमवार को जारी अलर्ट में कहा गया है, ‘‘अनौपचारिक/अनियमित बाजार की निगरानी बढ़ाने की भी सलाह दी जाती है।’’
प्रभावित उत्पाद तरल दवाएं हैं जिनमें ऐसे तत्व होते हैं जिनका उपयोग आमतौर पर सामान्य सर्दी, फ्लू या खांसी के लक्षणों से राहत देने के लिए किया जाता है
अलर्ट के अनुसार, भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने डब्ल्यूएचओ को सूचित किया कि आठ अक्टूबर को कम से कम तीन ओरल दवाओं में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीले तत्व की मौजूदगी पाई गई। डब्ल्यूएचओ को पहले 30 सितंबर को भारत में बच्चों की मौत के स्थानीय मामलों की जानकारी मिली थी।
सीडीएससीओ ने बताया कि मृतक बच्चों ने इन्हीं दवाओं का सेवन किया था और संबंधित राज्य सरकारों ने निर्माण इकाइयों में उत्पादन तुरंत रोकने तथा उत्पाद की अनुमति निलंबित करने के आदेश दिए हैं। साथ ही दवाओं की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अलर्ट में कहा गया है कि दूषित ओरल तरल दवाओं की पहचान कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ के रूप में की गयी, जिनका निर्माण श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स और शेप फार्मा ने किया था।
इसमें कहा गया है कि सीडीएससीओ ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया है कि भारत से कोई भी दूषित दवा निर्यात नहीं की गई है तथा वर्तमान में अवैध निर्यात का कोई सबूत नहीं है।
बहरहाल, डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा है कि वे बाजार में लक्षित जांच करें, खासकर उन उत्पादों की जिनका उत्पादन दिसंबर 2024 के बाद इन्हीं निर्माण इकाइयों में हुआ हो।
वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि ये दवाएं ‘‘खराब गुणवत्ता वाली’’ हैं और इनका सेवन जीवन के लिए खतरा बन सकता है।
डाइएथिलीन ग्लाइकॉल मनुष्यों के लिए अत्यधिक विषैला होता है और इसकी थोड़ी मात्रा भी घातक साबित हो सकती है। इसके सेवन से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, और तेजी से किडनी खराब होने जैसे लक्षण दिखायी दे सकते हैं जो मौत का कारण बन सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि रोगियों की सुरक्षा के लिए इन दवाओं की पहचान कर इन्हें तुरंत बाजार से हटाना आवश्यक है।
उसने लोगों को चेतावनी दी, ‘‘यदि आपके पास इन सिरप में से कोई है, तो उसका उपयोग न करें। यदि आपने या आपके किसी परिचित ने इनका सेवन किया है और कोई दुष्प्रभाव महसूस किया है, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें या किसी विष नियंत्रण केंद्र से संपर्क करें।’’