
जोगेश्वरी संधीर
मेरा बेटा जब छोटा था तब मुझसे जाने कितने तरह के प्रश्न करता था। जैसे पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी क्या है? पृथ्वी व चंद्रमा का व्यास क्या है? वह ऐसे प्रश्न करता, जिनका उत्तर दे पाना संभव नहीं। सामान्य बुद्धि से परे प्रश्नों के उत्तर मेरे पास भी नहीं होते। तब मैं उसे रुष्ट होकर देखती कि ऐसे प्रश्न क्यों करता है, जिसका उत्तर स्वयं मैं भी नहीं दे सकती? किंतु बालक है, तो जिज्ञासा होना स्वाभाविक ही है। अत: वह इस भय से ग्रस्त हो जाता था कि उसने व्यर्थ ही मम्मी को प्रश्न करके परेशान कर दिया। किंतु मैंने जब उसे समझाया कि उसके समस्त प्रश्नों का समाधान अकेली उसकी मां नहीं कर सकती। इसके लिए उसे स्वयं प्रयत्न करने होंगे? ये उत्तर उसे पुस्तकों में ढूंढऩे होंगे।
नि:संदेह पुस्तकों मेें हमारी जिज्ञासाओं के समाधान मिलते हैं। इन पुस्तकों में हमारी अनंत खोजों के किस्से भरे पड़े हैं। ये पुस्तकें अनमोल हैं। अमूल्य ज्ञान से युक्त इन किताबों से हम जितने विरक्त होते हैं, उतना हमारा जीवन भी एकाकी हो जाता है। हम अनेक व्यक्तियों से मिलते हैं? बातचीत करते हैं। मिलने आने-जाने में अपना समय व धन भी लगाते हैं क्योंकि किसी भी वस्तु को पाने के लिए उसका मूल्य भी देना होता है। कोई भी वस्तु या व्यक्ति हमें यूं ही तो नहीं मिल जाता। जबकि पुस्तकों के लिए अपना समय या धन को चुकाने में हम सोचते हैं कि हमने अपव्यय किया है। हम ड्राइंग रूम की सजावट पर काफी कुछ खर्चते हैं। जब भी मार्केट जाते हैं यदि कोई अच्छी कलात्मक वस्तु देखते हैं तो खरीद लेते हैं। महंगी से महंगी मिठाई हम अपने स्वाद व रुचि के अनुरूप खरीद लेते हैं। घूमने-फिरने व आने-जाने में हम एक पल भी नहीं गंवाते। किंतु जब भी किताबों का सवाल आता है हम कहते हैं यह तो खर्च है। इस खर्च से हम कतराते ही नहीं बचते भी हैं।
यदि हम किताबों से प्रेम करें तो हम पाएंगे कि हमारे जीवन की रिक्तता खत्म हो गई है। हमें किताबों से असंख्य ज्ञान के स्रोत मिलते हैं। इस ज्ञान से हम जीवन में बहुत कुछ पा सकते हैं।
किताबों में क्या नहीं है? किताबों में तो सभी कुछ है। बशर्तें कि आप अच्छी उत्तम क्वालिटी की पुस्तकों को खरीदें, पढ़े व उपहार में भी दें। किताबों से बेहतर उपहार और कौन-सा हो सकता है। हम किसी अखबार या पत्रिका को पसंद करते हैं और अपने प्रिय छोटे भाई-बहन या पुत्र को इसको पढऩे को प्रेरित करते हैं तो हम उस अखबार या पत्रिका की वार्षिक सदस्यता भरकर उसे अपने अजीज को भेज सकते हैं। किताबों से हम अपने मित्रों व हितैषियों को कितना ज्ञान दे सकते हैं। यह तो देने पर ही ज्ञात होगा।
किताबों से मार्गदर्शन- किताबों में सिर्फ कोरा ज्ञान ही नहीं होता, वरन्ï इससे मार्गदर्शन भी मिलता है। अनेक तरह के खेलों, राजनीति, ज्योतिष, विज्ञान, खगोल आदि सभी विषयों पर तो असंख्य किताबें लिखी गई हैं। महान व्यक्तियों के संस्मरणों के अलावा अनेक ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण घटनाओं के विवरण भी हमें किताबों से मिलते हैं। जासूसी विधा की उत्कृष्ट कोटि की किताबें हमें एक ऐसे मस्तिष्क के विकास में सहायक होती है, जिससे हम अपनी रोजमर्रा की अपराध विषयक घटनाओं पर चौकस नजर रख सकते हैं। किताबों में ही हमें कई दिलचस्प कैरेक्टर भी मिलते हैं, जो हमारे आदर्श बनकर हमारे जीवन की दिशा ही बदल देते हैं। किताबें हमें स्वास्थ्य व चिकित्सा की भी जानकारी देती हंै। वे पर्यटन, शिक्षा व रोजगार के बारे में भी बताती हैं। किताबों में कई रहस्यमयी बातों का भी ज्ञान होता है, वहीं जीवन के कितने ही विविध पहलुओं पर भी ये रोशनी डालती हंै तो वहीं दूसरी ओर कितनी ही मधुर एवं कटु स्मृतियों को भी ये संजोती हंै।
किताबों से कैसे करें प्यार- यदि हम अपनी किताबों से सच्चा प्रेम करते हैं तो हमें अनेक मित्र भी प्राप्त होते हैं। किताबों को चाहने वाले सहृदय एवं लगनशील होते हैं। उनमें कर्मठता भी होती है और चाहत भी। अत: किताबों का रखरखाव करें, किताबों को तरतीब से रखें, किताबों को बांटें और हो सके तो किताबों के पुस्तकालय भी खोले जाएं। यही होगी हमारी सच्ची किताबी साधना और उसका उपहार भी।