चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स में खराब प्रदर्शन ने तोड़ दिया था: वैशाली

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नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स टूर्नामेंट में लगातार सात हार के बाद ग्रैंडमास्टर आर वैशाली बुरी तरह से टूट गईं थी और उन्होंने ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट से हटने का मन बना लिया था लेकिन परिवार के समर्थन के बाद उन्होंने इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और खिताब जीतकर अगले साल होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया।

दिव्या देशमुख और कोनेरू हंपी के बाद अगले साल होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाली तीसरी भारतीय वैशाली ने कहा कि उनका परिवार, विशेषकर छोटे भाई आर प्रज्ञानानंदा उन्हें मजबूती देते हैं और मुश्किल समय से उबरने में मदद करते हैं।

वैशाली ने फिडे (अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ) को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘चेन्नई में (इस साल) हुए टूर्नामेंट में मैंने लगातार सात बाजियां गंवाईं और मुझे लगता है कि यह मेरे जीवन का सबसे मुश्किल टूर्नामेंट है। इस टूर्नामेंट में खेलना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह टूट चुकी थी और मेंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं ग्रैंड स्विस (समरकंद) में नहीं खेलने वाली। मैं ग्रैंड स्विस से हटने वाली थी लेकिन मेरे आसपास के लोगों ने मुझे खेलने के लिए मनाया। इससे मेरी मानसिकता बदली।’’

चौबीस साल की वैशाली ने कहा कि वह पूरे साल पूरी कोशिश कर रहीं थी लेकिन ग्रैंड स्विस खिताब जीतने तक चीजें उनकी उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस साल मैंने बहुत मेहनत की लेकिन चीजें मेरी उम्मीद के मुताबिक नहीं हुईं। मुझे कुछ बहुत मुश्किल टूर्नामेंट खेलने पड़े और रेटिंग के मामले में भी मेरे कुछ अंक कम हो गए इसलिए आगे के लिए यह टूर्नामेंट बहुत जरूरी था।’’

वैशाली ने कहा कि पिछले साल टोरंटो में कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करने से उन्हें कड़ी मेहनत का मतलब समझ में आया और तब से वह अपने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए और अधिक मेहनत करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करने से मुझे पता चला कि असल में कड़ी मेहनत का क्या मतलब होता है। उससे पहले मेरे लिए इसका अलग मतलब था, मेरी अपनी परिभाषा थी। लेकिन पिछले साल की तैयारी से मुझे पता चला कि वहां तक ​​पहुंचने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। मैंने कैंडिडेट्स के लिए सब कुछ दिया और तब से मैं कड़ी मेहनत कर रही हूं, खेल को बहुत समय दे रही हूं।’’

वैशाली को हालांकि कड़ी मेहनत से नतीजे नहीं मिल रहे थे लेकिन वह जानती थी कि एक अच्छा टूर्नामेंट सब कुछ बदल सकता है।

छोटे भाई प्रज्ञानानंदा के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह लगभग पक्की करने के साथ यह एक दुर्लभ मौका होगा जब कोई भाई-बहन की जोड़ी दूसरी बार इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करेगी। वैशाली ने कहा कि यह दोनों के लिए ‘बहुत अच्छा’ होगा।

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