उत्तरकाशी, 22 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र के चारधामों के रूप में प्रसिद्ध मंदिरों में से एक गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को अन्नकूट के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए।
सर्दियों में छह माह मंदिर के बंद रहने के दौरान श्रद्धालु मां गंगा की पूजा अर्चना उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव में कर सकेंगे ।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के कपाट पूर्वाहन 11:36 पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए ।
इस मौके पर गंगोत्री के विधायक सुरेश चौहान, मंदिर के धर्माधिकारी तथा सैकडों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे ।
इस दौरान तीर्थ पुरोहित लगातार गंगा लहरी का पाठ करते रहे । कपाट बंद होने के बाद डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली, तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।
सेना के बैंड की धुन और परंपरागत वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ की थाप के साथ तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव के लिए पैदल रवाना हुए। रात्रि विश्राम के लिए गंगा की डोली मार्कण्डेय स्थित देवी मंदिर पहुंचेगी जहां से बृहस्पतिवार को उसे मुखबा के गंगा मंदिर ले जाया जाएगा ।
बृहस्पतिवार को भैया दूज के अवसर पर केदारनाथ तथा यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे जबकि बदरीनाथ के कपाट 25 नवंबर को बंद होंगे ।
सर्दियों में बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल—मई में फिर खोल दिए जाते हैं ।
गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी की रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं । सरकारी आंकडों के अनुसार, इस वर्ष 21 अक्टूबर तक करीब साढ़े 49 लाख तीर्थयात्री चारधाम दर्शन के लिए आ चुके हैं जिसमें से गंगोत्री आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 7,57,762 थी ।