अहिल्यानगर, पांच अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गन्ना मिलों पर लेवी (कर) लगाने के राज्य सरकार के फैसले की आलोचना करने वाले विपक्षी नेताओं पर रविवार को निशाना साधा और कहा कि यह किसानों की कमाई से नहीं बल्कि मिलों के मुनाफे से वसूला जाएगा।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति से हुए नुकसान को देखते हुए सरकार ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री राहत कोष (सीएमआरएफ) के लिए मिलों पर प्रति टन गन्ने पर 10 रुपये तथा बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए प्रति टन पांच रुपये का शुल्क लगाए जाने की घोषणा की थी।
लेकिन विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया है कि इस फैसले से किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
चीनी की एक मिल में आयोजित कार्यक्रम में फडणवीस ने कहा, ‘‘राज्य में करीब 200 मिलें हैं और एक मिल को सीएमआरएफ में करीब 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है। हम किसानों से नहीं बल्कि चीनी मिलों के मुनाफे से धन की मांग कर रहे हैं।’’
उन्होंने इस निर्णय की आलोचना करने वालों की निंदा करते हुए कहा कि वे इसका गलत अर्थ निकाल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ लोग इतना गिर गए हैं कि वे सरकार द्वारा किसानों से पैसा लेने के रूप में इसका वर्णन कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि यह भुगतान मिलों के मुनाफे से है और ये मराठवाड़ा के बाढ़ प्रभावित किसानों तक पहुंचेगा। कुछ मिलें तो टन भार में भी किसानों के साथ धोखाधड़ी करती पाई गई हैं। मैं उन्हें आईना दिखाऊंगा।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए गन्ना किसानों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकार अपना फैसला बदलेगी।’’
सरकार ने कहा था कि 2024-25 सीज़न के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 3,550 रुपये प्रति मीट्रिक टन तय किया जिसकी मूल वसूली दर 10.25 प्रतिशत है तथा 99 सहकारी और 101 निजी सहित लगभग 200 चीनी मिलों ने 31,301 करोड़ रुपये मूल्य के गन्ने की पेराई की है जिसमें से 99.06 प्रतिशत एफआरपी पहले ही चुका दिया है।
कांग्रेस विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सतेज पाटिल, राकांपा (एसपी) विधायक रोहित पवार के अलावा राजू शेट्टी सहित कई किसान नेताओं ने इस कर का विरोध किया है और इसे ‘अनुचित’ और ‘वित्तीय बोझ’ बताया है।