नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने और वाहनों के लिए एक राष्ट्रव्यापी स्टार-रेटिंग प्रणाली लागू करने के अनुरोध से जुड़ी जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने संजय कुलश्रेष्ठ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मुद्दा कार्यपालिका के नीति-निर्माण क्षेत्राधिकार में आता है।
पीठ ने कहा, “चूंकि मामला सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता भारत सरकार को एक प्रतिवेदन दे सकता है, जिस पर उसके गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।”
व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए याचिकाकर्ता ने पीठ से केंद्र को एक वाहन स्टार-रेटिंग प्रणाली लागू करने का निर्देश देने का आग्रह किया ताकि लोगों को कम प्रदूषणकारी वाहनों की पहचान करने और उन्हें खरीदने के मामले में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि इससे उत्सर्जन और स्वास्थ्य संबंधी खतरे कम होंगे।
उन्होंने कहा, “अधिकतर विकसित देशों में यह प्रणाली पहले से मौजूद है। एक राजपत्र अधिसूचना तो है, लेकिन पिछले 10 वर्ष से इसका प्रकाशन नहीं हुआ है।”
वाहन प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य संकट पर प्रकाश डालते हुए याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भारत में हर साल लगभग 21 लाख लोगों की मौत के लिए वायु प्रदूषण ज़िम्मेदार है, जिसमें वाहनों से निकलने वाले सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) का बड़ा योगदान है।
उन्होंने दावा किया, “इससे जन्मजात विकृतियां भी हो रही हैं।”