नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) घरेलू इस्पात की कीमतें पांच साल के निचले स्तर पर आ गई हैं और 47,000-48,000 रुपये प्रति टन के दायरे में कारोबार कर रही हैं। बढ़ते आयात सहित कई कारकों के कारण कीमतें प्रभावित हुई हैं।
परामर्श सेवाएं देने वाली बिगमिंट के बाजार आंकड़ों के अनुसार, थोक बाजार में हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) की कीमतें 47,150 रुपये प्रति टन के आसपास जबकि री-बार (टीएमटी) की कीमतें 46,500-47,000 रुपये प्रति टन के दायरे में हैं।
पिछली बार कीमतें इस स्तर पर 2020 में थीं, जब वैश्विक महामारी की मंदी के बीच एचआरसी 46,000 रुपये प्रति टन के स्तर पर और री-बार 45,000 रुपये प्रति टन पर कारोबार कर रहा था।
मौजूदा गिरावट मुख्यतः कमजोर निर्यात मांग, बढ़ते आयात और वैश्विक बाजार में जरूरत से अधिक आपूर्ति के कारण है।
चीन जैसे देशों से निर्यात में आक्रामक बढ़ोतरी के दबाव में भारत के इस्पात निर्यात में तेजी से गिरावट आई है जबकि सरकार द्वारा कई उपाय किए जाने के बावजूद आयात अब भी जारी है।
स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस्पात मंत्रालय ने 27 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी में उद्योग के हितधारकों के साथ इस्पात आयात से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए एक ‘ओपन हाउस’ बुलाने का आह्वान किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी ध्यान दिया है कि इस्पात आयात में वृद्धि देखी गई है जिसका मुख्य कारण आयात कीमतें कम होना है। इसने घरेलू इस्पात उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन का भी आह्वान किया है।
भारत ने सितंबर 2025 में 7.9 लाख टन (एमटी) तैयार इस्पात का आयात किया जो अगस्त के 6.9 लाख टन से अधिक था। इस प्रकार यह देश का लगातार छठा शुद्ध इस्पात आयातक महीना रहा।
कोरिया, रूस और इंडोनेशिया से आयात में वृद्धि हुई जबकि चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैंड और ताइवान के आयात में सितंबर 2024 की तुलना में गिरावट आई।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही के दौरान भारत शुद्ध आयातक बना रहा और आयात, निर्यात से 4.7 लाख टन अधिक रहा। यह निर्यात मात्रा में 40 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद 44.3 लाख टन रहा।