गृहस्थी में सभी कुछ जायज है। गृहस्थी शब्द ही अपने आप में सुख और दुख को समेटे रहता है। एक सम्पन्न गृहस्थ परिवार के सदस्यों में सुख का तो अनुभव होता ही है परन्तु कभी-कभी छोटी-मोटी बीमारी से भी इनका गृहस्थ जीवन दुखी नहीं होता क्योंकि समझदार गृहणियों में यह गुण होता है कि वे अपने घर में रखी वस्तुओं का सही समय पर सही उपयोग करती हैं। आप भी इस मामले में पीछे क्यों रहें। आइयें, आपको कुछ छोटी मोटी बीमारियों का घरेलू इलाज बतायें ताकि आपको इन बीमारियों के कारण बार-बार डॉक्टर के पास न भागना पड़े और आपके परिवार में बजट का सन्तुलन भी बना रहे। आग से जलने पर यदि घाव हो गया हो तो गाय का घी लगा देने से घाव शीघ्र ठीक हो जाता है। पतले दस्त में प्याज का रस पीने से आराम मिलता है। यदि प्याज का रस तीखा होने से कारण पी न सकें तो प्याज पीसकर नाभि पर लेप कीजिए। आधे सिर में दर्द के लिए एक तोला काली मिर्च चबाकर खाने और ऊपर से ढाई तोले घी पीने से आराम मिलता है। अपच में प्याज कुचलकर रस निकालिए और नमक मिलाकर पी जाएं। काफी आराम मिलेगा। जायफल को दूध में घिसकर लेप कर देने से सिर का दर्द जल्दी ही दूर हो जाता है। सफेद प्याज के रस में बराबर शहद मिलाकर चाटने से दमा रोग में बहुत राहत मिलती है। आधा कप प्याज का रस व इतना ही शहद मिलाकर चाटने से खून की कमी दूर होती है। टूटी हड्डी में देसी घी में थोड़ा सा लहसुन भुनकर और हल्दी गर्म दूध में मिलाकर पीने से हड्डी जुड़ जाती है। यदि आपके चेहरे पर नवोदित मुंहासे अतिक्रमण करने लगे हों तो मुंहासों पर प्याज का रस लगा दें। वे गायब हो जायेंगे। मौसमी बुखार में चार पत्ते तुलसी और लगभग छः सात काली मिर्च रोज खाने से आराम मिलता है। दो बूंद प्याज का रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। पुरानी खांसी बांस के पत्ते का चूर्ण शहद के साथ लेने से ठीक हो जाती है। मितली में प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से आराम मिलता है। आग से जले हुए स्थान पर घी कुंवर के रस का लेप कर लेने से शीघ्र ही आराम मिलता है। बिनौले का तेल मलने से गठिया रोग दूर हो जाता है। यदि हिचकियां बार-बार आती हो तो हल्दी के चूर्ण को ताजे पानी के साथ लेने से हिचकियां तुरन्त बन्द हो जाती हैं।