सिद्धरमैया ने “नवंबर क्रांति” को खारिज किया, कहा नेतृत्व परिवर्तन की कोई मांग नहीं

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हासन (कर्नाटक), 15 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को राज्य की राजनीति में “नवंबर क्रांति” की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि नेतृत्व परिवर्तन की कोई मांग नहीं है।

उन्होंने दोहराया कि सोमवार को उनके कैबिनेट सहयोगियों के लिए आयोजित रात्रिभोज का नेतृत्व परिवर्तन या राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था।

नवंबर में कांग्रेस सरकार के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने पर राज्य में सत्ता परिवर्तन और मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिसे कुछ लोग “नवंबर क्रांति” कह रहे हैं। कुछ लोग “नवंबर क्रांति” को मुख्यमंत्री परिवर्तन के रूप में भी देखते हैं।

सिद्धरमैया ने नेतृत्व परिवर्तन और कैबिनेट सहयोगियों के लिए आयोजित रात्रिभोज बैठक के बारे में अटकलों पर संवाददाताओं द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, “रात्रिभोज बैठक और राजनीति के बीच कोई संबंध नहीं है। मैं नियमित रूप से इस तरह के रात्रिभोज का आयोजन करता हूं और हम रात्रिभोज के लिए मिलते रहते हैं और इस तरह के मिलन समारोह होते रहते हैं। हम पार्टी के मामलों पर चर्चा करते हैं। इसके अलावा नेतृत्व परिवर्तन या किसी अन्य राजनीतिक मामले पर कोई चर्चा नहीं हुई है।”

अटकलों पर आलाकमान की ‘चुप्पी’ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व फिलहाल बिहार चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उन्होंने कहा, “बाद में देखते हैं कि वे क्या कहते हैं। आलाकमान जो भी कहेगा, हम उसका पालन करेंगे।”

“नवंबर क्रांति” पर बातचीत के बारे में पूछे गए एक प्रश्न पर उन्होंने पलटकर कहा, “कोई क्रांति नहीं है, कोई भ्रांति नहीं है।”

नेतृत्व परिवर्तन की मांग और इसके लिए आलाकमान तथा विधायकों की मंजूरी की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “ऐसी कोई मांग नहीं है, आप (मीडिया) ऐसी बातें कर रहे हैं। ऐसी मांग कहीं नहीं है, अनावश्यक अटकलें लगाई जा रही हैं।”

राज्य के राजनीतिक हलकों में, विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर, इस वर्ष के अंत में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री तथा कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार के बीच सत्ता साझा करने के कथित समझौते का हवाला दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री के परिवर्तन की चर्चाओं के बीच सिद्धरमैया लगातार दोहराते रहे हैं कि वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।

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