अहमदाबाद, तीन अक्टूबर (भाषा) गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने शुक्रवार को कहा कि नागरिक केन्द्रित शासन और प्रगतिशील भूमि नीतियों ने राज्य को प्रेरणास्रोत और देश के लिए विकास इंजन बना दिया है।
पटेल ने गांधीनगर में भूमि प्रशासन और आपदा प्रबंधन संबंधी दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मुख्यमंत्री ने मौजूदा लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि,”यह राष्ट्रीय सम्मेलन डिडिटल इंडिया, भूमि प्रशासन और आपदा प्रबंधन पर है जो विकास, आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय की जरूरतों से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे जन केन्द्रित और प्रौद्योगिकी से जोड़कर शासन को नयी दिशा दी है।”
ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग द्वारा गुजरात सरकार के राजस्व विभाग के सहयोग से महात्मा मंदिर कन्वेन्शन सेन्टर में यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
एक विज्ञप्ति के अनुसार, सम्मेलन में चर्चा के कुछ प्रमुख विषयों में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) का कार्यान्वयन, राजस्व कानूनों का आधुनिकीकरण, भूमि अभिलेखों का उन्नयन, शहरी भूमि अभिलेखों का अद्यतनीकरण और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।
पटेल ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में, प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी प्रशासन प्रदान किया है तथा भूमि सुधारों के साथ-साथ, सुशासन के कई नए मानक स्थापित किए हैं।
उन्होंने कहा, “हमारी भूमि हमारी सभ्यता की नींव और हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। केंद्र सरकार ने डीआईएलआरएमपी शुरू किया है, जो पारदर्शिता और सुशासन को पुन: परिभाषित करता है और देश भर में गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करता है।
पटेल ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने 2005 में ई-धारा योजना के माध्यम से भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया ताकि किसानों को सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने की समस्या से निजात मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में आईओआरए (एकीकृत ऑनलाइन राजस्व अनुप्रयोग) पोर्टल भी पारदर्शी और विश्वसनीय प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस माध्यम से 35 से अधिक भूमि अभिलेख संबंधी सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है।
उन्होंने कहा कि नयी पहल से लाखों लोग निर्विवाद रूप से अपनी जमीन के मालिक बने हैं। इसके अलावा, संपत्ति को लेकर कई पारिवारिक विवादों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा किया गया है।
पटेल ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, हमने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ‘कोई हताहत नहीं हो’ दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से लागू किया है। हालांकि, हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ने से भूमि प्रशासन और आपदा प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो गया है।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना के तहत 11 तटीय जिलों में 76 बहुउद्देशीय चक्रवात आश्रय केंद्रों का निर्माण किया है।