
हर महिला के लिए गर्भ धारण करना और स्वस्थ शिशु को जन्म देना गर्व की बात है पर कभी-कभी महिलाएं गर्भावस्था के दौरान होने वाली परेशानियों को जानकर घबरा जाती हैं और सोचती हैं कि वे अपना यह समय किस प्रकार निकालेंगी। इन परेशानियों के बारे में सोच सोचकर मानसिक रूप से डरी रहती हैं। यह तो सच है कि गर्भकाल में सब महिलाओं को कुछ न कुछ शारीरिक परेशानियां तो होती हैं पर उनसे डरना नहीं चाहिए। उनसे कैसे निबटा जाए, आइए जानें:-
उलटियां:- प्रारंभ के कुछ दिनों या तीन चार माह तक कई गर्भवती महिलाओं को उलटियां होती हैं या जी मिचलाता है। इससे घबराएं नहीं। पौष्टिक आहार लें और इसे प्राकृतिक देन समझकर सामान्य रूप से लें। यह समस्या गर्भवती महिलाओं में शरीर में हार्मोन की अधिकता के कारण होती हैं। उलटियां होने से समयपूर्व प्रसव और गर्भपात होने की आशंका कम हो जाती है।
कब्ज:- गर्भवती महिलाओं में कब्ज का होना भी आम समस्या है। ऐसे में गर्भवती महिला को रेशेदार फल-सब्जियों और पेय पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए।
थकान होना:- गर्भवती महिलाएं सामान्यः थकी रहती हैं क्योंकि गर्भ में शिशु के बनने के लिए शरीर द्वारा अधिक ऊर्जा खर्च होती है। इस परेशानी से बचने के लिए पौष्टिक आहार के साथ-साथ रात्रि में 8 घंटे की नींद लें और दिन में भी डेढ़ घंटे से ढाई घंटे आराम अवश्य करें।
पेट दर्द होना:- जिन गर्भवती महिलाओं को पेट दर्द की शिकायत रहती हो उन्हें आरामदेह स्थिति में बैठना और लेटना चाहिए। पेट दर्द होना वैसे तो अच्छा नहीं माना जाता पर जब गर्भ में बच्चा बढ़ता है तो कई बार कई गर्भवती महिलाओं को पेट दर्द की परेशानी रहती है। दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।
पीठ दर्द होना:- गर्भकाल में महिलाओं का वज़न बढ़ता है। उस बढ़ते वजन से कभी-कभी पीठ दर्द होता है। गर्भाकाल में अधिक झुकें नहीं, न ही झुक कर काम करें। भारी बोझ आदि उठाने से बचें। लगातार पीठ दर्द गर्भपात या जल्दी प्रसव का कारण भी बन सकता है। अपनी मर्जी या किसी की सलाह से कोई भी दर्द कम करने की दवा न लें। लगातार बने दर्द के लिए अपनी डॉक्टर से सलाह लें और उसके परामर्श अनुसार चलें।
चक्कर आना:- कभी-कभी दिमाग में रक्त का संचार ठीक न होने से गर्भाकाल में गर्भवती महिला को चक्कर आ जाते हैं और कभी कभी बेहोशी सी भी हो जाती है। जब भी लेटें, पांव फैला कर लेटें। आराम मिलेगा। ऐसी अवस्था में डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करें।
हाथ-पैरों में सूजन आना:- गर्भाकाल में कई शारीरिक बदलाव के कारण हाथ पैरों में सूजन आ जाती है। क्योंकि इस अवस्था में शरीर में पानी जमा हो जाता है। खाने में नमक, तेल का सेवन कम करें। अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहें। गर्भाकाल में प्रोटीन की मात्रा पूरी लें। कभी-कभी हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी हाथ-पांव सूज जाते हैं। पांव अधिक समय तक लटका कर न बैठें, न ही अधिक समय तक चप्पल पहन कर रखें।
नाक से खून निकलना:- कभी-कभी हाई ब्लड प्रेशर के कारण नाक से खून निकलने लगता है। ऐसे में नाक के छिद्र को अपनी उंगलियों से बंद रखें। जब खून निकलना बंद हो जाए तो नाक को खुला छोड़ दें। ध्यान रखें अधिक देर तक नाक के छिद्रों को बंद न रखें।
पेशाब का बार-बार आना:- ज्यों-ज्यों शिशु बढ़ता है तो गर्भाशय भी बढ़ता है। इससे मूत्राशय पर दबाव पड़ता है। इस दबाव के कारण पेशाब बार-बार आने लगता है। जब यह समस्या अधिक दिन तक रहे तो डॉक्टर से जांच अवश्य करवा लें। कभी-कभी शुगर होने पर भी पेशाब बार-बार आता है। अपनी जांच समय-समय पर डॉक्टर के परामर्श अनुसार करवाते रहें।
उलटियां:- प्रारंभ के कुछ दिनों या तीन चार माह तक कई गर्भवती महिलाओं को उलटियां होती हैं या जी मिचलाता है। इससे घबराएं नहीं। पौष्टिक आहार लें और इसे प्राकृतिक देन समझकर सामान्य रूप से लें। यह समस्या गर्भवती महिलाओं में शरीर में हार्मोन की अधिकता के कारण होती हैं। उलटियां होने से समयपूर्व प्रसव और गर्भपात होने की आशंका कम हो जाती है।
कब्ज:- गर्भवती महिलाओं में कब्ज का होना भी आम समस्या है। ऐसे में गर्भवती महिला को रेशेदार फल-सब्जियों और पेय पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए।
थकान होना:- गर्भवती महिलाएं सामान्यः थकी रहती हैं क्योंकि गर्भ में शिशु के बनने के लिए शरीर द्वारा अधिक ऊर्जा खर्च होती है। इस परेशानी से बचने के लिए पौष्टिक आहार के साथ-साथ रात्रि में 8 घंटे की नींद लें और दिन में भी डेढ़ घंटे से ढाई घंटे आराम अवश्य करें।
पेट दर्द होना:- जिन गर्भवती महिलाओं को पेट दर्द की शिकायत रहती हो उन्हें आरामदेह स्थिति में बैठना और लेटना चाहिए। पेट दर्द होना वैसे तो अच्छा नहीं माना जाता पर जब गर्भ में बच्चा बढ़ता है तो कई बार कई गर्भवती महिलाओं को पेट दर्द की परेशानी रहती है। दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।
पीठ दर्द होना:- गर्भकाल में महिलाओं का वज़न बढ़ता है। उस बढ़ते वजन से कभी-कभी पीठ दर्द होता है। गर्भाकाल में अधिक झुकें नहीं, न ही झुक कर काम करें। भारी बोझ आदि उठाने से बचें। लगातार पीठ दर्द गर्भपात या जल्दी प्रसव का कारण भी बन सकता है। अपनी मर्जी या किसी की सलाह से कोई भी दर्द कम करने की दवा न लें। लगातार बने दर्द के लिए अपनी डॉक्टर से सलाह लें और उसके परामर्श अनुसार चलें।
चक्कर आना:- कभी-कभी दिमाग में रक्त का संचार ठीक न होने से गर्भाकाल में गर्भवती महिला को चक्कर आ जाते हैं और कभी कभी बेहोशी सी भी हो जाती है। जब भी लेटें, पांव फैला कर लेटें। आराम मिलेगा। ऐसी अवस्था में डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करें।
हाथ-पैरों में सूजन आना:- गर्भाकाल में कई शारीरिक बदलाव के कारण हाथ पैरों में सूजन आ जाती है। क्योंकि इस अवस्था में शरीर में पानी जमा हो जाता है। खाने में नमक, तेल का सेवन कम करें। अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहें। गर्भाकाल में प्रोटीन की मात्रा पूरी लें। कभी-कभी हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी हाथ-पांव सूज जाते हैं। पांव अधिक समय तक लटका कर न बैठें, न ही अधिक समय तक चप्पल पहन कर रखें।
नाक से खून निकलना:- कभी-कभी हाई ब्लड प्रेशर के कारण नाक से खून निकलने लगता है। ऐसे में नाक के छिद्र को अपनी उंगलियों से बंद रखें। जब खून निकलना बंद हो जाए तो नाक को खुला छोड़ दें। ध्यान रखें अधिक देर तक नाक के छिद्रों को बंद न रखें।
पेशाब का बार-बार आना:- ज्यों-ज्यों शिशु बढ़ता है तो गर्भाशय भी बढ़ता है। इससे मूत्राशय पर दबाव पड़ता है। इस दबाव के कारण पेशाब बार-बार आने लगता है। जब यह समस्या अधिक दिन तक रहे तो डॉक्टर से जांच अवश्य करवा लें। कभी-कभी शुगर होने पर भी पेशाब बार-बार आता है। अपनी जांच समय-समय पर डॉक्टर के परामर्श अनुसार करवाते रहें।