प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकों से वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने का आग्रह किया

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नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ भारत की जीवंत और भव्य स्वरूप को दर्शाता है। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे भावी पीढ़ियों के लिए इसके मूल्यों को आगे बढ़ाते हुए इस गीत के 150वें वर्ष को यादगार बनाएं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात रेडियो’ संबोधन में कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित और रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1896 में पहली बार गाए गए राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में इससे संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 30 मिनट के संबोधन में देश के विभिन्न भागों में नागरिकों द्वारा की गई कई अनूठी पहलों का उल्लेख किया, जिनमें गुजरात में मैंग्रोव लगाया जाना, छत्तीसगढ़ में ‘गार्बेज कैफे’ की शुरुआत और बेंगलुरु में झीलों को पुनर्जीवित करने के प्रयास शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने अर्धसैनिक बलों – सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) – द्वारा अपनी इकाइयों में भारतीय नस्ल के श्वान को शामिल करने के प्रयासों की भी सराहना की और याद दिलाया कि एक मुधोल हाउंड ने एक प्रतियोगिता में विदेशी नस्ल के कुत्तों को पीछे छोड़ते हुए पुरस्कार जीता था।

मोदी ने कहा, “हमारे देशी श्वान ने भी अद्भुत साहस का परिचय दिया है। पिछले साल, छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित इलाके में गश्त के दौरान सीआरपीएफ के एक देसी श्वान ने 8 किलोग्राम विस्फोटक का पता लगाया था।”

उन्होंने कहा कि बीएसएफ और सीआरपीएफ ने रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड, मोंगरेल्स, कोम्बाई और पांडिकोना जैसी भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपने श्वान दस्तों में शामिल किया है और इनमें से कुछ 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में गुजरात के एकता नगर में आयोजित परेड में भाग लेंगे।

मोदी ने ओडिशा के कोरापुट में कॉफ़ी की खेती के प्रयासों की भी सराहना की, जिससे क्षेत्र के लोगों को लाभ हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “कोरापुट में ऐसे लोग हैं जो अपने जुनून के साथ कॉफ़ी की खेती कर रहे हैं। ऐसी कई महिलाएं भी हैं जिनके जीवन में कॉफी सुखद बदलाव लाया है।”

उन्होंने कहा कि दुनिया-भर में भारत की कॉफी बहुत लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने कहा कि चाहे कर्नाटक में चिकमंगलुरु, कुर्ग और हासन हो, तमिलनाडु में पुलनी, शेवरॉय, नीलगिरि और अन्नामलाई के इलाके हों, कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर बिलिगिरि क्षेत्र हो या फिर केरल में वायनाड, त्रावणकोर और मालाबार के इलाके – भारत की कॉफी की विविधता देखते ही बनती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृति और सोशल मीडिया की दुनिया ने संस्कृत को को नई प्राणवायु दे दी है और कई युवा रील के माध्यम से संस्कृत के बारे में बात करते दिखाई देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग तो अपने सोशल मीडिया चैनल के जरिए संस्कृत सिखाते भी हैं। ऐसे ही एक युवा कंटेंट क्रिएटर हैं – भाई यश सालुंड्के। यश की खास बात ये है कि वो कंटेंट क्रिएटर भी हैं और क्रिकेटर भी हैं। संस्कृत में बात करते हुए क्रिकेट खेलने की उनकी रील लोगों ने खूब पसंद की है।’’

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