स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण ‘ट्रिपल टेस्ट’ व्यवस्था के तहत हो: तेलंगाना उच्च न्यायालय

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हैदराबाद, 11 अक्टूबर (भाषा) तेलंगाना उच्च न्यायालय ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा स्थानीय निकाय चुनावों पर भी लागू होती है, और ओबीसी के लिए कोटा में कोई भी वृद्धि ‘ट्रिपल टेस्ट’ के दायरे में होनी चाहिए।

न्यायालय का “ट्रिपल टेस्ट” स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने की एक प्रणाली है, जिसके तहत राज्यों को आंकड़े एकत्र करने, आयोग के निष्कर्षों के आधार पर आरक्षण अनुपात निर्दिष्ट करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक आयोग का गठन करना आवश्यक है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कुल आरक्षण कुल सीट संख्या के 50 प्रतिशत से अधिक न हो।

शुक्रवार रात तेलंगाना उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर आदेश की एक विस्तृत प्रति अपलोड की गई।

उच्च न्यायालय ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी नौ अक्टूबर के सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग आनुपातिक रूप से निर्धारित सीट को खुली श्रेणी की सीट के रूप में अधिसूचित करेगा और चुनाव कराएगा।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना ​​है कि प्रतिवादी/राज्य सरकार दिनांक 26.09.2025 को जी.ओ.एम. संख्या नौ जारी करके विकास किशनराव गवली (सुप्रा) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा के मानदंडों का पालन करने में विफल रहे हैं, जिसके तहत स्थानीय निकायों में ओबीसी को 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। इसके बाद स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा का उल्लंघन करते हुए कुल 67 प्रतिशत आरक्षण हो गया है।”

जीओ संख्या 9 के अलावा, न्यायालय ने संबंधित शासकीय आदेश संख्या 41 और 42 पर भी रोक लगा दी है।

न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद, तेलंगाना राज्य निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर कहा था कि 29 सितंबर को चुनाव अधिसूचना जारी की गई थी और अगली सूचना तक सभी गतिविधियों को निलंबित किया जा रहा है।

पिछड़ा वर्ग (बीसी) कोटा बढ़ाने वाले कांग्रेस सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वालीमुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जी.एम. मोहिउद्दीन की खंडपीठ ने सरकार को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “राज्य (सरकार) को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है। इसके बाद, यदि आवश्यक हो, तो याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह का समय उत्तर दाखिल करने के लिए दिया जाएगा। इस बीच, विवादित अधिसूचना पर अंतरिम स्थगन रहेगा।”

पिछड़ा वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सरकार को रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सरकार इस स्थगन को हटाने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकती है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों का तर्क है कि शासकीय आदेश (जी) कुल आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा का उल्लंघन करता है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश मुख्य वकील वरिष्ठ अधिवक्ता के. विवेक रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार का आदेश राजनीतिक आरक्षणों को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा लगाई गई 50 प्रतिशत सीमा को पार कर जाता है।

तेलंगाना राज्य निर्वाचन आयोग ने अक्टूबर से नवंबर के बीच पांच चरण में ग्रामीण स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए 29 सितंबर को कार्यक्रम की घोषणा की थी।

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