गुवाहाटी, 19 अक्टूबर (भाषा) असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा है कि शिक्षा को रचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच को बढ़ावा देने वाली बनाना चाहिए और इसे केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं रखना चाहिए।
शनिवार को यहां ‘नॉर्थ ईस्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव 2025’ के समापन सत्र में आचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 छात्रों को वर्तमान समय के अनुरूप तैयार करने की दिशा में समय पर उठाया गया कदम है।
प्रागज्योतिषपुर विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस सम्मेलन में शिक्षाविदों, नीति विशेषज्ञों और शैक्षणिक हितधारकों ने एनईपी के मद्देनजर पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी शैक्षिक रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान और बुद्धिमत्ता में बदलाव लाने की शक्ति होती है, और यह शक्ति इंसानों को केवल शिक्षा ही प्रदान कर सकती है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ‘विकसित भारत 2047’ की परिकल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आचार्य ने कहा कि इस सम्मेलन का समय प्रासंगिक है, क्योंकि यह देश की शैक्षणिक आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर, नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में हो रहे प्रयासों के अनुरूप है।
भारत की प्राचीन विरासत का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध संस्थानों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में शिक्षा केवल नौकरी या धन अर्जन तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह चरित्र निर्माण, समग्र दृष्टिकोण और विश्व कल्याण को बढ़ावा देने का एक समग्र माध्यम थी।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज के छात्र केवल सैद्धांतिक शिक्षा नहीं चाहते, बल्कि वे वास्तविक जीवन के अनुभवों और प्रौद्योगिकी-सक्षम वातावरण के माध्यम से विश्लेषणात्मक, प्रयोगात्मक और रचनात्मक समझ हासिल करने की आकांक्षा रखते हैं।
उन्होंने 21वीं सदी की शिक्षा के लिए स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरी, ‘ओपन ई-लर्निंग मंच’ और सामुदायिक सहभागिता को आवश्यक बताया।