सिर्फ दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, सभी राज्य फोड़ेंगे हरित पटाखे: शिवकाशी के पटाखा निर्माता

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चेन्नई, 15 अक्टूबर (भाषा) शिवकाशी के पटाखा निर्माताओं ने कहा है कि सिर्फ दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ही नहीं बल्कि सभी राज्यों में हरित पटाखों का उपयोग किया जाएगा, क्योंकि उनमें से अधिकांश ने अब इन्हें ही विशेष रूप से बनाना शुरू कर दिया है।

हरित पटाखों के असर पर जारी बहस के बीच उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कुछ शर्तों के साथ त्योहार के दौरान दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हरित पटाखे फोड़ने की अनुमति दे दी।

उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि हरित पटाखों का उपयोग दीवाली से एक दिन पहले और त्योहार के दिन ही कुछ निर्धारित घंटों तक सीमित रहेगा। हालांकि, हरित पटाखों की बिक्री 18 से 21 अक्टूबर तक ही करने की अनुमति होगी।

“ग्रीन क्रैकर्स” (हरित पटाखे) सीएसआईआर-एनईईआरआई (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित विशेष योजक का उपयोग करके बनाए जाते हैं।

सीएसआईआर-एनईईआरआई, नागपुर के पर्यावरण सामग्री प्रभाग के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, आरजे कृपादम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “साल 2018 में हमने बाजार में मौजूद हर पटाखे – लक्ष्मी बम, फुलझड़ी और चकरी के उत्सर्जन स्तर का अध्ययन किया और उत्सर्जन के लिए एक आधार स्तर स्थापित किया।” आरजे कृपादम ने कहा कि शुरुआत में इस आधार स्तर से उत्सर्जन को 30 से 35 प्रतिशत तक कम करना संभव था लेकिन अब वे इसे 50 प्रतिशत तक कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

शिवकाशी की श्री बालाजी फायर वर्क्स इंडस्ट्रीज के मालिक आर बालाजी ने कहा कि मौजूदा फॉर्मूले में केवल योजक जोड़ने का काम होने के कारण, “हरित पटाखों” में बदलाव करना आसान था। आर बालाजी ने कहा, “पिछले चार वर्षों से हम अपनी फैक्ट्री में 100 प्रतिशत हरित पटाखे बना रहे हैं।”

तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टानफामा) के उपाध्यक्ष जी अबिरुबेन ने कहा कि पारंपरिक पटाखे अब ज्यादातर अवैध निर्माताओं द्वारा बनाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “शिवकाशी के छोटे निर्माता भी नए फॉर्मूले को अपनाना पसंद कर रहे हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में बेरियम नाइट्रेट को ऑक्सीडाइजर के रूप में प्रतिबंधित करते हुए इस उद्योग पर कड़ा रुख अपनाया था। इसका मतलब है कि अधिकांश दुकानें हरित पटाखे ही बेचेंगी क्योंकि शिवकाशी के निर्माताओं का योगदान लगभग 95 प्रतिशत है।”

अय्यान फायरवर्क्स ब्रांड के मालिक अबिरुबेन ने याद करते हुए बताया कि कैसे 2018 में शिवकाशी की फैक्ट्रियां एनईईआरआई की लैब बन गई थी क्योंकि जांच के लिए पटाखों को छोटी ‘खेपों’ में नागपुर ले जाना बहुत बड़ी मुसीबत जैसा था।

अबिरुबेन ने कहा, “पहली सफलता लगभग साढ़े तीन महीने बाद मिली। तब से निर्माताओं का एक समूह एनईईआरआई के साथ मिलकर काम कर रहा है और हर उत्पाद का छोटे-छोटे ‘बैचों’ में परीक्षण कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हरित पटाखे न केवल कम उत्सर्जन वाले हों बल्कि उपयोग के लिए भी सुरक्षित हों।”

कृपादम ने कहा कि वे पिछले सात वर्षों में काफी आगे आ चुके हैं। कृपादम ने यह भी कहा कि अब शिवकाशी में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी मॉडल के तहत एक विशेष परीक्षण सुविधा भी स्थापित की गई है।

उन्होंने कहा, “पटाखा निर्माताओं ने लागत का 40 प्रतिशत योगदान दिया जबकि एनईईआरआई ने भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के साथ मिलकर 60 प्रतिशत योगदान दिया।” और इससे व्यापक परीक्षण करना संभव हो गया है।

कृपादम ने कहा, “हम उन योजकों पर भी प्रयोग कर रहे हैं जो जलने पर पानी की बूंदें पैदा कर सकें ताकि उत्सर्जन कण तेजी से नीचे बैठ जाएं। एक और क्षेत्र जिस पर हम शोध कर रहे हैं, वह है धूल के कणों को पकड़ने की क्षमता, जिससे वायुमंडल में उनका फैलाव रुक सके।”

कृपादम ने यह भी कहा कि एनईईआरआई ने सुनिश्चित किया है कि ये योजक निर्माताओं को नाममात्र की लागत पर उपलब्ध हों।

उन्होंने ने कहा, “निर्माता अपने ‘फॉर्मूले’ हमारे पास पंजीकृत कराते हैं। अब तक देशभर से 1,403 निर्माता हमारे साथ पंजीकरण करा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश शिवकाशी के हैं।”

दिल्ली में आपूर्ति के संबंध में अबिरुबेन ने कहा कि चार बड़े राज्यों – पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा – के डीलरों के पास पूरी तरह से स्टॉक जमा है क्योंकि उन्होंने अच्छी भंडारण क्षमता वाली सुविधाएं बना ली हैं।

उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पटाखों को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाना आसान हो गया है। अबिरुबेन ने कहा, “पहले हमें विशिष्ट राज्यों से सी-फॉर्म भरना पड़ता था लेकिन अब जीएसटी बिल कोई भी और कहीं से भी बना सकता है। इसलिए सामग्री का मुक्त आवागमन संभव है।”

कुछ साल पहले तक दिल्ली-एनसीआर में खुदरा विक्रेताओं को सीधे पटाखे वितरित करने वाले, नया कार्नेशन फायरवर्क्स के आंशिक मालिक जयशंकर ने कहा, “दिल्ली-एनसीआर हमारे लिए एक बड़ा बाजार था, जो कुल बिक्री में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देता था। अब, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के वितरक ही सारा फायदा उठा रहे हैं।”

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